की जिनगी बेकार अछि ?
नै , निमही गेल त जिनगी कमाल अछि |
किछ दिन पहिने के बात अछि , पुसक ज़ारक मास अह़ा सब लोकेन अहि बेर देखबै केलो कतेक हद तक ढंड अपन चरम शीमा तक पहुँच गेल छल , ओही ढंडी के ई बात छी |
हमर दफ्तर में किछ जरुरी काजक प्रयोजन भ गेल छल , जाही कारने , हमर दफ्तर के छुट्टी क समयक हिसाब से , बहुत देरी कअक फुर्सत भेटल , ताबे में देखलो हमर साईकिल सेहो पेंचरक अबस्था में अछि | एक त ई ढंडी दोसर कुन्नु सबरी के साधन नै , हम अधिक असमंजस में परी गेलो जे आब हम अपन डेरा कोनक जायब , घड़ी के समय एग्यारह बता रहल अछि, चारू दिस कुन्नु चारा नहीं , आ घर पर धिया - पुत्ता सब के सेहो चिंता होयत हेतैन जे एतेक रैत के कतय छैथि , आगन वाली के त बाते किछ और कनिको देरी भेल , की हे भगवती कही ढेर रास कोबला - पाती क बसैय छैथि जे , हे भगवती हुनका रक्षा करबैन |
ई सब बात सोची - सोची के हम और बेसी चिंता में छलो | आखिर की कायल जाय ?
ताबे में ऐगो बुजुर्ग (उम्र ५५ से ५८ के) किमरोह से रिक्शा लअके हमरा लग अबी गेला , आ हमरा से झट सँ बजला |
बेटा आप को कहा जाना है ?
हम कहल्यनी - हमको छलेरा सदर पुर गाँव जाना है वह हाँ से मै पैदल निकल जाउगा ,
रिक्शा वाला बाजल , बेटा वो कितना दूर है ?
हम कहल्यनी ,यहाँ से तक़रीबन १२ किलो मीटर दूर पर है ,
रिक्शा वाला हमरा से बाजल ,, बेटा हमरा घर उस जगह से बहुत दूर है मै नहीं जा पाउगा आप कोइ दूसरा रिक्शा देखलो |
हम एहन बात सुनी के और बेशी चिंतागिर्त भगेलो , जे आब हम की करब , यदि पैदल जायत छी त कम सँ कम दू घंटा समय लागैत अछि , नहीं जायव त घर में अंदेशा , कुलमिला के चारू तरफ चिन्ते - चिंता , आखिर करब त करब की ?
एतेक बात मन में सोचेयत छेलो की , ताबे में फेर ओह्ह रिक्सा बाला हमरा सामने आबी के कहैत अछि ,, बेटा हम से पहले आप को अपने घर जाना जरुरी है , मै तो सरक क आदमी हूँ , लेट –सेट अपने घर चला जाउगा ? आप बैठ जाऊ , आगे - आगे रास्ता बताते रहना |
ई बात सुनी के हमरा अपन मन में ई भेल , जे भगवती हमर सबहक पुकार सुनी लेलैथि आब कुनू चिंता नै हम सही सलामत अपन घर पहुंच जायब | आखिर में भगवती अपन दूत हमरा लेल पठाई देलाथी |
कनिक दूर गेल होयब की हमरा मुहँ से अचनाक अबाज निकैल गेल , की अंकल ईस साल क ढंड तो बहुत हद तक बढने लगे है ? पत्ता नहीं गाँव - घर क़ा क्या बुरा हाल होगा ?
रिक्शा वाला के अबाज आयल -
,, बेटा सबको इंसानियत के कारन मज़बूरी आ गारिबी क़ा पालन करना परता है, ईस में , मै और आप क्या कर सकते है ? सब कर्मो क़ा खेल है , भाग्य जिधर ले जाते है उधर जाना परता है , आखिर में हम गरीब लोग उसका पालन करते है , इस में ढंडी और गर्मी क्या करेगा ?
ई बात सुनीक हमरा अपना –आप में ई जानकारी भेटल जे " ई बुजुर्ग " किछ खास पढ़ल -लिखल छैथि --
हमर मुहँ से झट सं आवाज निकैल गेल जे - अंकल आप कितने पढ़े - लिखे है ?
हमरा उत्तर भेटल " बेचलर ऑफ आर्ट फ्रॉम मिथिला युनिभर्सिटी "
हुनकर ई शब्द सुनी के हमर दिमाग किछ और सोचय लागल जे, बी ए कके ई आखिर रिक्शा कियाक चलबैत छैथि ?
ओहो हमर मिथिला के निवासी बनी , हमर मन में हुनका से बारबार ईहः प्रश्न पुछैक इच्छा करैत छल जे आखिर की कारण अछि ?
जखन हुनका बोली बचन से मिथिला क अबाज निकलल त हम अप्पन मैथिलि भाषा मै हुनका झट सं पुछलियन की -
,, काका अहंक कतय घर भेलय " ?
रिक्शा वाला सरमायत - सरमायत धीरे - धीरे मधुर अबज में बजला , हमर घर सुपोल परैत अछि |
हम फेर - काका अपनेक की नाम भेलय
उत्तर भेटल -- हरी शरण झा ,
हम - पुछलीयन काका अहाँ एतेक पढल - लिखल छी ओही के उरांत रिक्शा क्याक चलबैत छी ?
झा जी काका बजला - रिक्शा हम नै चलबैत छी , हमर मज़बूरी चलबैत अछि |
हम फेर पुछलीयन - झा जी काका अहिठाम अपनेक संग और कियोक छैथि ? झा जी काका से उत्तर भेटल - हमर सब परिवार एतही छैथि ,जाही में हमर अर्धांग्नी आ दुगो पुत्र आ एगो सुपुत्री छैथि |
हम फेर पुछलीयन - काकी आ बोउवा सब के ई निक लागैत छन जे अहाँ रिक्शा चलबैत छी?
झा जी काका कहलैथि - हमरा परिवार में किनको ई नहीं बुझल छैन जे हम रिक्शा चलबैत छी ,
हम फेर पुछलीयन से कोना ?आखिर अहाँ की काज करैत छी आ कोनाक रहैत छी ? --- आखिर की कारन अछि जे अह्ना डिग्री लअके रिक्शा चलबैत छि ---
झा जी काका , धीरे - धीरे अबाज निकलैथी कहलैथि हम सन १९९० में दिल्ली एलो , कैकटा कंपनी में जाके अपन बिग्यापन देलो कतोउ जोगर नै लागल क्याक की हमरा लग डिग्री त छल मुद्दा कम्पूटरक शिक्षा नै छल जाही कारण सब जगह से निष्कासित भ जायत छेलो | बहुत दिनक बाद अपन जिनगी से हारल थाकल अपन जिनगी के सिकोरटी गार्ड के काज पकरलो ओही समय में हमरा ३००० रूपया दैत छल , समय ठीक ठाक से बितैत छल , आ धिया पुता सब सेहो स्कुल में पढैत छल , बहुत निक जेका गुजर बसर होयत छल , समय बितल गेल महगाई बढ़ल गेल , मुद्दा आमदनी के कुन्नु दोसर चारा नही छल , हम अपन परिवार के त पेट भरी लैत छेलो मुद्दा धिया - पुत्ता के पढाई के खर्चा हमरा से पुरेनाय बड़ मुसकिल छल - आखिर कतेक दिन तक परोशी से कर्जा लअके बच्चा सबहक स्कुल के माशिक शुल्क देबय | एतबा नही, हमर जिनगी के कमाए के अंतिम चरम सीमा सेहो बितल जायत छल आ घर क खर्चा सेहो बेसी भेल जायत छल , जाही कारने गार्ड के आट घंटा काज केला के बाद बाकि समय में हम भाडा पर रिक्शा चलब लागलो ताकि हमर धिया पुता के आबैय बाला जिनगी में ई तकलीफ नै होय जे हमर बाबु हमरा पढ़े में खर्च नही द सकला आ हमर शिक्षा अधूरे रहिगेल , अन्त में हमरा जेक रिक्शा नहीं चलाबैं परै ,
हम फेर प्रश्न क देलियानी जे बोउवा आ बुची सब एखन की करैत छैथि ?
हरी काका कहलैथि जे -
हमर जेट पुत्र बी- टेक इंजीनियरिंग कोर्स के फ़ाइनल में छैथि , आ दोसर पुत्र एम बीया क तयारी करैत छैथ और पुत्री अंतर स्नातक परीक्षा दके अपन मायक संग घर मे काज धन्दा के देखैत छैथि ,
हमरा मन में बेर - बेर हिनका से प्रश्न पुछैक इच्छुक छल मुद्दा हम करब त करब की ?
हरी काका हम अपन गंतब्य स्थान के नजदीक तक आबी गेल छी, जायत - जायत बस एकटा प्रश्न के उत्तर देयत जाऊ |
बाजु की पूछय चाहैत छी ---
हम झट सन बजलो हरी काका की जिनगी बेकार अछि ?
हरी काका से झट सन उत्तर भेटल - नीमैह गेल त जिनगी कमाल अछि ,
ऐतबा में हम अपन जेबी में सं एगो नमरी निकैल के हरी काका के देबय लागलो की हरी काका हमरा मना क देलानी ई कहीके की अहुं हमर जेट पुत्र के समान छी अह्ना अहि से दोसर कुन्नु काज करब , कतबो जिद कलियन , आखिर अन्त में ओ एको टाक हमरा से नहीं लेलैथि
नोट - (आखिर की कारण छल जे ओ हमरा से एको टा टाक नहीं लेलैथि हम मैथिल छी,
ताहि द्वारे या हुनका से बिसेष किछ बात कय लेलो ताहि द्वारे , या हम हुनका से उम्र में बहुत छोट छेलो दही द्वारे , या हमहू हुनके जेक गरीब मजदुर बनी प्रदेश आयल छी ताहि द्वारे , या हुनका अपन मैथिल लोक से बेशी प्रेम छानी ताहि द्वारे, आखिर की कारन छल , सब प्रान्त में देखैत छी बहुत रास अपन मैथिल भाई छैथि , कियक नै हरी काका सन छैथि जे एक दोसर से अपन गाम घर जेका एक दोसर संग भाई चार जेका ब्यबहार करैथि , ई बात हम अपना - आप के मन में बस ईहा सोचैत छेलो , आई ई बात कतेको अपन मैथिल भय - बंधू के सामने अपन मुहं से सेहो बतेलो कियोक नहीं बजला जे आखिर कारन की छल , अहं सब पाठक गन जरुर बतायब जे कारन की छल )
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