|| यौ आब कहू मोन केहन लगैया ||
चुटकी भरि सिन्दूर लगयलौ
घोघक तर सं टन-टन बाजय
टीके पर चुरा कुटैया ।। यौ आब....
तिरिया जाल देखौलक माया
मुसरी भय गेल देखू काया
टिकल अइ जिनगी राम भरोसे
के दुःख दर्द सुनैया ।। यौ आब.....
अगला पिछला ताना दैया
कियो नै कहलक से से कहैया
लोक लाज सं चुप्पी साधल
अंगूरी दय बजबैया ।। यौ आब....
कानि कय खप्पर रोज भरैया
नव नव श्रृंगार करैया
कतय कतय सं यार बनौलक
किछु नै पता परैया ।। यौ आब.....
भोर कलौ बेरहटिया बौआ
"रमण" चलै मुँह जहिना कौआ
मरले में नै जिबैत में बैसल
उबडुब प्राण करैया ।। यौ आब.....
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
यौ आब कहु मोन केहन लगैया ।।
सभक हिरस में अहूँ गेलौचुटकी भरि सिन्दूर लगयलौ
घोघक तर सं टन-टन बाजय
टीके पर चुरा कुटैया ।। यौ आब....
तिरिया जाल देखौलक माया
मुसरी भय गेल देखू काया
टिकल अइ जिनगी राम भरोसे
के दुःख दर्द सुनैया ।। यौ आब.....
अगला पिछला ताना दैया
कियो नै कहलक से से कहैया
लोक लाज सं चुप्पी साधल
अंगूरी दय बजबैया ।। यौ आब....
कानि कय खप्पर रोज भरैया
नव नव श्रृंगार करैया
कतय कतय सं यार बनौलक
किछु नै पता परैया ।। यौ आब.....
भोर कलौ बेरहटिया बौआ
"रमण" चलै मुँह जहिना कौआ
मरले में नै जिबैत में बैसल
उबडुब प्राण करैया ।। यौ आब.....
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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