सजा भेटल केहन प्रीतक
शेर
तोरि कय दिल हमर आहाँ
ककरौ दिल स नई खेलब
ऐ निहोरा अइ हमर एतबे
ई प्रेम के बदनाम नै करब
सजा भेंटल केहन हयै प्रियतम
जे हम बात नै जानि रहल छि ।
लुटा कय अपन चैन - सुख हम
बाट ककर हम जोहि रहल छि ।।
सजा भेंटल केहन .....
बनिकय निष्ठुर हमर दिल दुखयलौ
मोन जानि सकल नञि कथा के ।
भेल व्याकुल आहाँ के जतन में
घुरि ताकू यै हमर व्यथा के ।।
सजा भेंटल केहन....
कहू जाकय कहब केकरा सं
एहि विरह में हम कोना जिबैछि ।
साँस धक् धक् हृदय में चलैया
घूँट नोरक सतत हम पीबै छी ।।
सजा भेंटल केहन.....
गीतकार
निशान्त झा "रमण"
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