॥ छंद ॥
जय कपि कल कष्ट गरुड़हि ब्याल- जाल
केसरीक नन्दन दुःख भंजन त्रिकाल के ।
पवन पूत दूत राम , सूत शम्भू हनुमान
बज्र देह दुष्ट दलन ,खल वन कृषानु के ॥
कृपा सिन्धु गुणागार , कपि एही करू पार
दीन हीन हम मलीन,सुधि लीय आविकय ।
"रमण "दास चरण आश ,एकहि चित बिश्वास
अक्षय के काल थाकि गेलौ दुःख गाबि कय ॥
चौपाई
जाऊ जाहि बिधि जानकी लाउ । रघुवर भक्त कार्य सलटाउ ॥
यतनहि धरु रघुवंशक लाज । नञि एही सनक कोनो भल काज ॥
श्री रघुनाथहि जानकी ज्ञान । मूर्छित लखन आई हनुमान ॥
बज्र देह दानव दुख भंजन । महा काल केसरिक नंदन ॥
जनम सुकरथ अंजनी लाल । राम दूत कय देलहुँ कमाल ॥
रंजित गात सिंदूर सुहावन । कुंचित केस कुन्डल मन भावन ॥
गगन विहारी मारुति नंदन । शत -शत कोटि हमर अभिनंदन ॥
बाली दसानन दुहुँ चलि गेल । जकर अहाँ विजयी वैह भेल ॥
लीला अहाँ के अछि अपरम्पार । अंजनी लाल कर उद्धार ॥
जय लंका विध्वंश काल मणि । छमु अपराध सकल दुर्गुन गनि॥
यमुन चपल चित चारु तरंगे । जय हनुमंत सुमित सुख गंगे ॥
हे हनुमान सकल गुण सागर । उगलि सूर्य जग कैल उजागर ॥
अंजनि पुत्र पताल पुर गेलौं । राम लखन के प्राण बचेलों ॥
पवन पुत्र अहाँ जा के लंका । अपन नाम के पिटलों डंका ॥
यौ महाबली बल कउ जानल । अक्षय कुमारक प्राण निकालल ॥
हे रामेष्ट काज वर कयलों । राम लखन सिय उर में लेलौ ॥
फाल्गुन साख ज्ञान गुण सार । रुद्र एकादश कउ अवतार ॥
हे पिंगाक्ष सुमित सुख मोदक । तंत्र - मन्त्र विज्ञान के शोधक ॥
अमित विक्रम छवि सुरसा जानि । बिकट लंकिनी लेल पहचानि ॥
उदधि क्रमण गुण शील निधान । अहाँ सनक नञि कियो वुद्धिमान ॥
सीता शोक विनाशक गेलहुँ । चिन्ह मुद्रिका दुहुँ दिश देलहुँ ॥
लक्षमण प्राण पलटि देनहार । कपि संजीवनी लउलों पहार ॥
दश ग्रीव दपर्हा ए कपिराज । रामक आतुरे कउलों काज ॥
॥ दोहा ॥
प्रात काल उठि जे जपथि ,सदय धराथि चित ध्यान ।
शंकट क्लेश विघ्न सकल , दूर करथि हनुमान ॥
लीला अहाँ के अछि अपरम्पार । अंजनी लाल कर उद्धार ॥
जय लंका विध्वंश काल मणि । छमु अपराध सकल दुर्गुन गनि॥
यमुन चपल चित चारु तरंगे । जय हनुमंत सुमित सुख गंगे ॥
हे हनुमान सकल गुण सागर । उगलि सूर्य जग कैल उजागर ॥
अंजनि पुत्र पताल पुर गेलौं । राम लखन के प्राण बचेलों ॥
पवन पुत्र अहाँ जा के लंका । अपन नाम के पिटलों डंका ॥
यौ महाबली बल कउ जानल । अक्षय कुमारक प्राण निकालल ॥
हे रामेष्ट काज वर कयलों । राम लखन सिय उर में लेलौ ॥
फाल्गुन साख ज्ञान गुण सार । रुद्र एकादश कउ अवतार ॥
हे पिंगाक्ष सुमित सुख मोदक । तंत्र - मन्त्र विज्ञान के शोधक ॥
अमित विक्रम छवि सुरसा जानि । बिकट लंकिनी लेल पहचानि ॥
उदधि क्रमण गुण शील निधान । अहाँ सनक नञि कियो वुद्धिमान ॥
सीता शोक विनाशक गेलहुँ । चिन्ह मुद्रिका दुहुँ दिश देलहुँ ॥
लक्षमण प्राण पलटि देनहार । कपि संजीवनी लउलों पहार ॥
दश ग्रीव दपर्हा ए कपिराज । रामक आतुरे कउलों काज ॥
॥ दोहा ॥
प्रात काल उठि जे जपथि ,सदय धराथि चित ध्यान ।
शंकट क्लेश विघ्न सकल , दूर करथि हनुमान ॥
रचैता -
रेवती रमण झा " रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा ,मिथिला
मो 09997313751
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