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शनिवार, 15 अप्रैल 2017

मैथिलि हनुमान चालीसा से - सीता - रावण - हनुमान, हनुमान द्वादस दोहा

||  सीता - रावण - हनुमान || 


रेखा   लखन    जखन  सिय पार  |
वर       विपदा    केर  टूटल पहार ||
तीर    तरकस  वर धनुषही हाथ   |
रने -  वने     व्याकुल    रघुनाथ  ||
मन मदान्ध मति गति सूचि राख  |
नत  सीतेहि, अनुचित जूनि भाष  ||
झामर - झुर   सिय मनहि  अधीर |
विमल लोचन वर सजल गम्भीर  ||
हाथ   नाथ     मुदरी  सिया     देल |
रघुवर    दास  आश    हीय   भेल  ||
दश    मुख रावणही  डुमरिक फूल |
रचि     चतुरानन   सभे  अनुकूल  ||
भंगहि      वीरे    महाभट      भीर  |
गाले      काल   गेला     वर   वीर  ||
पवन   त्रिव    गति  सूत   त्रिपुरारी |
तोरी      बंदि    लंका   पगु     धरि  ||
रघुकुल       लाज    जोहि      बैदेही |
राम   लखन    सिय   चित   सनेही ||
हे    हनुमंत      अगाध      अखन्डी  |
" रमण " लाज   वर    राखु   अड़ंगी  ||

|| हनुमान  द्वादस  दोहा || 

रावण   ह्रदय  ज्ञान    विवेकक , जखनहि  बुतलै  बाती  | 
नाश    निमंत्रण  स्वर्ण  महलक , लेलक हाथ में पाती  || 

सीता हरण मरन रावण कउ , विधिना तखन  ई  लीखल | 
भेलै   भेंट  ज्ञान गुण  सागर , थोरवो बुधि  नञि सिखल ||

जकरे  धमक सं डोलल धरनी , ओकर कंठ अछि  सुखल  |
 ओहि पुरुषक कल्याण कतय ,जे पर  तिरिया के भूखल   ||   

शेष  छाउर   रहि  गेल   ह्रदय , रावण  के  सब  अरमान  | 
करम  जकर   बुरायल  रहलै  , करथिनं   कते  भगवन  ||

बाप सँ  पहिने पूत मरत  नञि , धन निज ईच्छ  बरसात |
सीढी  स्वर्गे  हमहिं  लगायब  , पापी कियो  नञि तरसत ||

बिस भुज  तीन मनोरथ लउ  कउ , वो धरती  पर मरिगेल |
जतबे  मरल   राम  कउ  हाथे ,  वो  ततबे  लउ  तरी  गेल ||

कतबऊ  संकट  सिर  पर  परय , भूलिकय करी नञि पाप  |
लाख पुत  सवालाख  नाती  , रहलइ   नञि    बेटा   बाप  ||

संकट  मोचन भउ  संकट में , दुःख सीता जखन बखानल  |
अछि  वैदेही धिक्कार  हमर , भरि  नयन  नोर  सँ  कानल  ||

स्तन  दूधक   छोरी   अंजनि   ,  कयलनि   पर्वत  के  चूर  |
ओकरे  पूत  दूत  हम  बैसल , छी  अहाँ    अतेक  मजबूर   ||

रावण  सहित  उड़ा  कउ  लंका , रामे  चरण धरि  आयब  |
हे , माय   ई   आज्ञा  प्रभु  कउ ,   जौ   थोरबहूँ  हम पायब ||

हे माय  करू विश्वास अतेक  , ई  बिपति रहल दिन थोर   |
दश  मुख दुखक  एतैय  अन्हरिया , अहाँक  सुमंगल भोर  ||

" रमण " कतहुँ नञि  अटेक व्यथित , हे कपि भेलहुँ उदाश |
सर्व गुणक  संपन्न   अहाँ  छी , यौ  पूरब   हमरो   आश  ||

रचना कार - 
रेवती रमण झा " रमण "

ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा  ,मिथिला
मो 09997313751

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