|| सीता - रावण - हनुमान ||
रेखा लखन जखन सिय पार |
वर विपदा केर टूटल पहार ||
तीर तरकस वर धनुषही हाथ |
रने - वने व्याकुल रघुनाथ ||
मन मदान्ध मति गति सूचि राख |
नत सीतेहि, अनुचित जूनि भाष ||
झामर - झुर सिय मनहि अधीर |
विमल लोचन वर सजल गम्भीर ||
हाथ नाथ मुदरी सिया देल |
रघुवर दास आश हीय भेल ||
दश मुख रावणही डुमरिक फूल |
रचि चतुरानन सभे अनुकूल ||
भंगहि वीरे महाभट भीर |
गाले काल गेला वर वीर ||
पवन त्रिव गति सूत त्रिपुरारी |
तोरी बंदि लंका पगु धरि ||
रघुकुल लाज जोहि बैदेही |
राम लखन सिय चित सनेही ||
हे हनुमंत अगाध अखन्डी |
" रमण " लाज वर राखु अड़ंगी ||
|| हनुमान द्वादस दोहा ||
रावण ह्रदय ज्ञान विवेकक , जखनहि बुतलै बाती |
नाश निमंत्रण स्वर्ण महलक , लेलक हाथ में पाती ||
सीता हरण मरन रावण कउ , विधिना तखन ई लीखल |
भेलै भेंट ज्ञान गुण सागर , थोरवो बुधि नञि सिखल ||
जकरे धमक सं डोलल धरनी , ओकर कंठ अछि सुखल |
ओहि पुरुषक कल्याण कतय ,जे पर तिरिया के भूखल ||
शेष छाउर रहि गेल ह्रदय , रावण के सब अरमान |
करम जकर बुरायल रहलै , करथिनं कते भगवन ||
बाप सँ पहिने पूत मरत नञि , धन निज ईच्छ बरसात |
सीढी स्वर्गे हमहिं लगायब , पापी कियो नञि तरसत ||
बिस भुज तीन मनोरथ लउ कउ , वो धरती पर मरिगेल |
जतबे मरल राम कउ हाथे , वो ततबे लउ तरी गेल ||
कतबऊ संकट सिर पर परय , भूलिकय करी नञि पाप |
लाख पुत सवालाख नाती , रहलइ नञि बेटा बाप ||
संकट मोचन भउ संकट में , दुःख सीता जखन बखानल |
अछि वैदेही धिक्कार हमर , भरि नयन नोर सँ कानल ||
स्तन दूधक छोरी अंजनि , कयलनि पर्वत के चूर |
ओकरे पूत दूत हम बैसल , छी अहाँ अतेक मजबूर ||
रावण सहित उड़ा कउ लंका , रामे चरण धरि आयब |
हे , माय ई आज्ञा प्रभु कउ , जौ थोरबहूँ हम पायब ||
हे माय करू विश्वास अतेक , ई बिपति रहल दिन थोर |
दश मुख दुखक एतैय अन्हरिया , अहाँक सुमंगल भोर ||
" रमण " कतहुँ नञि अटेक व्यथित , हे कपि भेलहुँ उदाश |
सर्व गुणक संपन्न अहाँ छी , यौ पूरब हमरो आश ||
रेवती रमण झा " रमण "
बाप सँ पहिने पूत मरत नञि , धन निज ईच्छ बरसात |
सीढी स्वर्गे हमहिं लगायब , पापी कियो नञि तरसत ||
बिस भुज तीन मनोरथ लउ कउ , वो धरती पर मरिगेल |
जतबे मरल राम कउ हाथे , वो ततबे लउ तरी गेल ||
कतबऊ संकट सिर पर परय , भूलिकय करी नञि पाप |
लाख पुत सवालाख नाती , रहलइ नञि बेटा बाप ||
संकट मोचन भउ संकट में , दुःख सीता जखन बखानल |
अछि वैदेही धिक्कार हमर , भरि नयन नोर सँ कानल ||
स्तन दूधक छोरी अंजनि , कयलनि पर्वत के चूर |
ओकरे पूत दूत हम बैसल , छी अहाँ अतेक मजबूर ||
रावण सहित उड़ा कउ लंका , रामे चरण धरि आयब |
हे , माय ई आज्ञा प्रभु कउ , जौ थोरबहूँ हम पायब ||
हे माय करू विश्वास अतेक , ई बिपति रहल दिन थोर |
दश मुख दुखक एतैय अन्हरिया , अहाँक सुमंगल भोर ||
" रमण " कतहुँ नञि अटेक व्यथित , हे कपि भेलहुँ उदाश |
सर्व गुणक संपन्न अहाँ छी , यौ पूरब हमरो आश ||
रचना कार -
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा ,मिथिला
मो 09997313751
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