सबहक काज सुगम सँ कयलो
हमर अगम कीय भेलै यौ |
रहलौं अहिंक शरण में हनुमंत
जीवन कीय भसिअयलै यौ ||
सबहक ----हमर --- २
क़डीरिक वीर सनक जीवन ई
मंद बसात नञि झेलल यौ |
हम दीन , अहाँ दीनबन्धु छी
तखन कीयक अवडेरल यौ ||
सबहक ----हमर --- २
अंजनी लाल , यौ केशरी नंदन
जग में कियो अपन नञि यौ |
एक आश , विश्वास अहाँक
वयस हमर झरि गेलै यौ ||
सबहक ----हमर --- २
मारुति नंदन , काल निकंदन
शंकर स्वयम अहाँ छी यौ |
"रमण "क जीवन करू सुकारथ
दया निधान कहाँ छी यौ
सबहक ----हमर --- २
रचित -
रेवती रमण झा "रमण "
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