dahej mukt mithila

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शनिवार, 29 अप्रैल 2017

बजरंग -विनय , मैथिली हनुमान चालीसा से -लेखक - रेवती रमण झा " रमण "

         














बहक  काज  सुगम सँ कयलो 
हमर   अगम    कीय  भेलै  यौ  | 
रहलौं   अहिंक  शरण में हनुमंत 
जीवन   कीय  भसिअयलै    यौ  || 
          सबहक   ----हमर ---   २ 
क़डीरिक  वीर सनक  जीवन ई 
मंद   बसात    नञि झेलल  यौ  | 
हम दीन , अहाँ   दीनबन्धु  छी 
तखन  कीयक  अवडेरल  यौ   || 
         सबहक   ----हमर ---   २ 
अंजनी लाल , यौ  केशरी  नंदन 
जग  में कियो  अपन  नञि यौ  | 
एक  आश ,  विश्वास   अहाँक  
वयस   हमर   झरि  गेलै  यौ  || 
        सबहक   ----हमर ---   २ 
मारुति  नंदन , काल  निकंदन 
शंकर  स्वयम   अहाँ   छी  यौ  | 
"रमण "क  जीवन करू सुकारथ 
दया  निधान  कहाँ   छी   यौ 
सबहक   ----हमर ---   २ 
      रचित -
 रेवती रमण झा "रमण "

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