dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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रविवार, 11 मार्च 2012

गजल


धारक कात रहितो पियासल रहि गेल जिनगी हमर।
मोनक बात मोनहि रहल, दुख सहि गेल जिनगी हमर।

मुस्की हमर घर आस लेने आओत नै आब यौ,
पूरै छै कहाँ आस सबहक, कहि गेल जिनगी हमर।

सीखेलक इ दुनिया किला बचबै केर ढंगो मुदा,
बचबै मे किला अनकरे टा ढहि गेल जिनगी हमर।

पाथर बाट पर छी पडल, हमरा पूछलक नै कियो,
कोनो बन्न नाला जकाँ चुप बहि गेल जिनगी हमर।

जिनगी "ओम" बीतेलकै बीचहि धार औनाइते,
भेंटल नै कछेरो कतौ, बस दहि गेल जिनगी हमर।
(बहरे मुक्तजिब)

1 टिप्पणी:

virendra sharma ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल आंचलिक रंगों से संसिक्त .