"विआह"
सुनि गप्प विआह कें
मन अध्हर्षित अध्दुखित भेल |
सुझाए लागल ब्रह्माण्ड हमरा
तन-मन आकुल-व्याकुल भेल ||
क्षणिक सोइच आनन्द विआह कें
हम कुदअ लगलौं चाईर-चाईर हाथ |
द' चौबनियाँ मुस्कान
हम गुद्गुदाए लगलौं भईर-भईर राइत ||
नै छलौं देखने हुनका
नै छल हुनकर कोनो ज्ञान |
नै जानि तइयौ हुनके
कियाक बुझैत छलौं अपन प्राण ||
अचानक केखनो क' हमरा
मन मे भ' जाइत छल साइत --
नै जानि ओ केहन हेती
अनाड़ी हेती या व्यावहारिक हेती !
बुझल छल हमरा एतबाए
हुनक व्यस(उम्र) छनि सोलह साल |
तांए डेराइत छलौं हम
कोना करब "प्रेमक' बात ||
बुझल छल हमरा एतबाए
ओ नैन्ना हम स्यान |
तांए डेराइत छलौं हम
कोना करब एकहि घाट हम स्नान ||
मुदा मन के बुझअलौं- की करबअ ?
मिथिला कें छै इहाए विधान
"कनियाँ नैन्ना " आ "वर स्यान " ||
:गणेश कुमार झा "बावरा"
गुवाहाटी
सुनि गप्प विआह कें
मन अध्हर्षित अध्दुखित भेल |
सुझाए लागल ब्रह्माण्ड हमरा
तन-मन आकुल-व्याकुल भेल ||
क्षणिक सोइच आनन्द विआह कें
हम कुदअ लगलौं चाईर-चाईर हाथ |
द' चौबनियाँ मुस्कान
हम गुद्गुदाए लगलौं भईर-भईर राइत ||
नै छलौं देखने हुनका
नै छल हुनकर कोनो ज्ञान |
नै जानि तइयौ हुनके
कियाक बुझैत छलौं अपन प्राण ||
अचानक केखनो क' हमरा
मन मे भ' जाइत छल साइत --
नै जानि ओ केहन हेती
अनाड़ी हेती या व्यावहारिक हेती !
बुझल छल हमरा एतबाए
हुनक व्यस(उम्र) छनि सोलह साल |
तांए डेराइत छलौं हम
कोना करब "प्रेमक' बात ||
बुझल छल हमरा एतबाए
ओ नैन्ना हम स्यान |
तांए डेराइत छलौं हम
कोना करब एकहि घाट हम स्नान ||
मुदा मन के बुझअलौं- की करबअ ?
मिथिला कें छै इहाए विधान
"कनियाँ नैन्ना " आ "वर स्यान " ||
:गणेश कुमार झा "बावरा"
गुवाहाटी
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