dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

रविवार, 4 मार्च 2012

गजल:- होली
रंग विरंगक रसरंग सं भौजी के रंगाएल चोली
रंग उडैए छै अवीर उडैए छै देखू आएल होली

होली के रंग में रंगाएल सभक एकही रूपरंग
... दोस्ती के रंग में रंगाएल दुश्मन देखू आएल होली

प्रेम स्नेहक पावैन होली गाबैए गीत फगुआ टोली
रसरंग सरोवर भेल दुनिया देखू आएल होली

रंग में रंगाएल शरीर गाबैए गीत जोगी फकीर
गाबैए जोगीरा बजाबैए मृदंग देखू आएल होली

रंग उड़ाबैए रंगरसिया कियो उड़ाबैए अवीर
तन मोन सभक रंगाएल देखू आएल होली

......................वर्ण-२०.............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: