dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

शनिवार, 3 मार्च 2012

गीत:-
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

पंचतत्व रचित इ अधम शरीर
घाऊ अछि सभक मोन में गंभीर
सुख के खोज में दुनिया लागल
राजा रंक जोगी फकीर .............
हो भैया, राजा रंक जोगी फकीर
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर//
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

सुख नहि हुनका भेटल जग में
जे दुःख सं मुह मोड़ी पड़ाएल

जराबू मोन में जीवन दर्शन ज्योति
दुःख क सागरमे भेटै छैक
सुख स्वरुप अपार हिरामोती
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर//
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

भाग्य सं बढ़ी के जगमे किछु नहीं बलवान
पल में राजा रंक भेल विप्र बनल धनवान
राजपाठ सभ त्यागी भेल राम लखन वनवासी
बिक गेल राजा हरिश्चंद्र बनल डोमक दासी
हो भैया,राजा हरिश्चंद्र बनल डोमक दासी
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर //
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

जीवन एक संघर्ष दुःख छै महा संग्राम
कांटक डगैर चलैत रहू लिय नै विश्राम
दुःख क संघर्ष सं भेटैय छै सुख आराम
दुःख सुख छै जीवन,जिनगी एकरे नाम
हो भैया,जिनगी एकरे नाम ..............
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर //
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: