|| नचारी ||
हे शंकर ! आयल शरण हम तोर
कतेक करूण हम विनय सुनाओल
करि - करि आहाँक निहोर ।। हे शंकर....
बालापन नित खेलि गमाओल
यौवन साँझहि सोय ।
आयल बुढ़ापा निन्दन टूटय
यथपि भय गेल भोर ।। हे शंकर....
घर अछि दूर कठिन पथ आगाँ
स्थूल भेल शरीर ।
लुकझुक किरण संग नहि पाथे
भूखक ज्वाला जोर ।। हे शंकर....
कठिन - कठिन दुःख कतेक के भोला
कयलहुँ पल में त्राण ।
"रमण" शरण में आबि चुकल अछि
छोरत नाहि पछोर ।। हे शंकर....
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
हे शंकर ! आयल शरण हम तोर
कतेक करूण हम विनय सुनाओल
करि - करि आहाँक निहोर ।। हे शंकर....
बालापन नित खेलि गमाओल
यौवन साँझहि सोय ।
आयल बुढ़ापा निन्दन टूटय
यथपि भय गेल भोर ।। हे शंकर....
घर अछि दूर कठिन पथ आगाँ
स्थूल भेल शरीर ।
लुकझुक किरण संग नहि पाथे
भूखक ज्वाला जोर ।। हे शंकर....
कठिन - कठिन दुःख कतेक के भोला
कयलहुँ पल में त्राण ।
"रमण" शरण में आबि चुकल अछि
छोरत नाहि पछोर ।। हे शंकर....
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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