|| इतना निष्ठुर बनो ना माता ||
इतनी परीक्षा मत लो अम्बे , और नही सहपाउँगा ।
तुम भी मुझसे मुख मोड़ोगी,तो मै किस दर पे जाऊँगा ।
इतना निष्ठुर बनो न माता , एक है तेरी आश
ना तो तुझसे उठ जाएगा , भक्तो का विशवास
गम खाकर हर अश्क पिया अब और नही पी पाउँगा ।।
इतनी.....
सच का साथी कोई नही है बसी झूठ की नगरी
कब मारोगी महिषासुर को भरी पाप की गगड़ी
तुम्ही निन्द से ना जागोगी , तो मै किसे जगाऊँगा ।।
इतनी......
कितना निर्मल कितना पावन माँ बेटे का नाता
पूत कपूत सुना है जग में , होती नही कुमाता
निर्मोही बन जाओगी तुम , दुखड़ा किसे सुनाऊँगा ।।
इतनी.....
खडग शूल खप्पर धारी , कर शंखचक्र और ढाल
आदि शक्ति अवतारी अम्बे , तेरा रूप विशाल
श्रिष्टि सजानेवाली मै क्या , तेरा रूप सजाऊँगा
इतनी.....
पुष्पांजलि स्वीकार करो माँ,अर्थ विहीन है जीवन
न्यौछावर कर दिया "रमण",तुम पर अपना जीवन
भजन भाव का मुखड़ा निस दिन,मैया तुम्हे सुनाऊँगा ।।
इतनी......
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
इतनी परीक्षा मत लो अम्बे , और नही सहपाउँगा ।
तुम भी मुझसे मुख मोड़ोगी,तो मै किस दर पे जाऊँगा ।
इतना निष्ठुर बनो न माता , एक है तेरी आश
ना तो तुझसे उठ जाएगा , भक्तो का विशवास
गम खाकर हर अश्क पिया अब और नही पी पाउँगा ।।
इतनी.....
सच का साथी कोई नही है बसी झूठ की नगरी
कब मारोगी महिषासुर को भरी पाप की गगड़ी
तुम्ही निन्द से ना जागोगी , तो मै किसे जगाऊँगा ।।
इतनी......
कितना निर्मल कितना पावन माँ बेटे का नाता
पूत कपूत सुना है जग में , होती नही कुमाता
निर्मोही बन जाओगी तुम , दुखड़ा किसे सुनाऊँगा ।।
इतनी.....
खडग शूल खप्पर धारी , कर शंखचक्र और ढाल
आदि शक्ति अवतारी अम्बे , तेरा रूप विशाल
श्रिष्टि सजानेवाली मै क्या , तेरा रूप सजाऊँगा
इतनी.....
पुष्पांजलि स्वीकार करो माँ,अर्थ विहीन है जीवन
न्यौछावर कर दिया "रमण",तुम पर अपना जीवन
भजन भाव का मुखड़ा निस दिन,मैया तुम्हे सुनाऊँगा ।।
इतनी......
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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