|| समदाउन ||
कथी केर फूल कुम्हलाय गेल गै बहिना
कौने जल गेल सुखाय ।
कौने वन कुहुकई कारी रे कोयलिया
कौने दाई खसली झमाय ।।
कमलक फूल कुम्हलाय गेल गै बहिना
सरोवर गेल सुखाय ।
विजुवन कुहुकइ कारी रे कोयलिया
सीता दाई खसली झमाय ।।
सीता के सुरति देखि विकल गे बहिना
आइ सीता भेली विरान ।
विधि के विवश भय सोचथि जनक जी
बेटी धन होइत अछि आन ।।
आबि गेल डोलिया कि चारु रे कहरिया
चारु सखी देल अरियाति ।
सुन भेल "रमण" हे जनक नगरिया
चली गेली सीता ससुरारि ।।
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
कथी केर फूल कुम्हलाय गेल गै बहिना
कौने जल गेल सुखाय ।
कौने वन कुहुकई कारी रे कोयलिया
कौने दाई खसली झमाय ।।
कमलक फूल कुम्हलाय गेल गै बहिना
सरोवर गेल सुखाय ।
विजुवन कुहुकइ कारी रे कोयलिया
सीता दाई खसली झमाय ।।
सीता के सुरति देखि विकल गे बहिना
आइ सीता भेली विरान ।
विधि के विवश भय सोचथि जनक जी
बेटी धन होइत अछि आन ।।
आबि गेल डोलिया कि चारु रे कहरिया
चारु सखी देल अरियाति ।
सुन भेल "रमण" हे जनक नगरिया
चली गेली सीता ससुरारि ।।
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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