बेटा भेल कीयक कुलदीपक
बेटी कियक पहाड़ ।
सुनू यौ जगके सृजनहार ।।
जल लयने स्वागत में सदिखन
अंग - अंग मृदुभाव विलक्षण
कोन कसूरे कर्कश चित सं
कयलौ दूरव्यबहार ।। सुनू....
विपुल कला सं कलित ललित अछि
चन्द्र धवल मुख चंचल चित अछि
जकर आचरण पग-पग सुरसरि
शीतल निर्मल धार ।। सुनू.....
कुल गरिमा स्तम्भ सवल अछि
पावनि रीति रिवाज कुशल अछि
ममता मंगल मूर्ति दयामयी
जीवन के पतवार ।। सुनू....
सुख सुबिधा सं सदिखन खाली
"रमण" कि होली , पर्व दिवाली
वंशक बगिया केर कली दू
माय कीयक लाचार ।। सुनू.....
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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