गीत लीखै छी , चिट्ठी लिखा जाइत अइ
की बाजै छी , जानि की बजा जाइत अइ
की सोचै छी , जानि की सोचा जाइत अइ
प्रेम पागल बेमत्त मोन मानय ने ओ
गीत लीखै छी , चिट्ठी लिखा जाइत अइ
की बाजै छी.......
दोष कलमक दीयौ की , मूँहक चाम के
मोन माला जपैया आहाँक नाम के
याद कतवो बिसारी , ने बिसरा रहल
प्रीत सदिखन आहाँ के सता जाइत अइ
की बाजै छी.......
हमर आशा के फूल फुला नै रहल
मोन आकुल , अहाँ के भुला नै रहल
खुब कनितौ अखन , मुदा चुप के करत
रुसि रहितौ नै कियो बौसा जाइत अइ
की बाजै छी.......
अहाँ मानू नै मानू , जना हम देलौ
मन मन्दिर के रानी बना हम लेलौ
एक अनुपम छटा चान आँगन उतरि
"रमण" तस्वीर दिल में बसा जाइत अइ
की बाजै छी.......
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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