चलू शिव मिथिला धाम !
शिव कुमार झा टिल्लू
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दर्शन तंत्र साहित्यक जे भू ठाम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
जत' विवेक विचारक नव आयाम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
कोशी कमला बागमती संग देखब करेहक धार औ
गंगा गण्डकी महमह भेली देखि जकर आचार औ
भारती बेटी उदयन सुत निष्काम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
सुग्गा जत' संस्कृत बचै ओ तन्त्रक नजरि उपासल औ
हम लड़ै छी तें ने बुझै सभ हमरा मतिछीन भासल औ
जनकनगरसँ अंगपुरि धरि अविराम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
विद्यापति भुवनेश्वर चंदा सन सर्जकके' खान औ
अमर मधुप आरसी सुमन सन रास ओत' दिनमान औ
ज्ञानक दीप अखण्ड, ने बुझब विराम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम !
दीनहीन साधनविहीन मुदा अछि ने पसारने हाथ औ
अप्पन अंशक दान दैत अछि याचकसँ नहि लाथ औ
कतेक अयाची साधक गामकगाम ओ अछि मिथिला
चलू शिव मिथिला धाम
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