रोपब कोना धान सजना ! ( गीत )
शिव कुमार झा टिल्लू
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रुसि गेलथि पुनिदेव पुरंदर
रोपब कोना धान सजना !
धान सजना हो कि धान सजना हो
रोपब कोना धान सजना
फटलै खेत निकलै छै धाही
भेल तप्पत दिनमान सजना !!
बिचड़ा मुरुझेलै धरतीमे सटलै
कोर' लगलहुँ त' जड़िएसँ कटलै
फेर विधना अकान सजना !
आगाँके' आश जड़ि रहलै
कोना कजरीके' तान सजना !!
लागल भदबा भदैयाक खेतमे
जेतै अगहनियो रौदीक पेटमे
छुटत अपटीमे प्राण सजना !
ताकी त' आँखि चोन्हराबै
भेल जीवन मलान सजना !!
कहै छलिय' हम चलि जा विदेश
दुखित पड़ल मिथिलेशक देश
उगल खगताके' चान सजना !
नोरेसँ लधबध वैदेही
छनि संकटकेँ भान सजना !!
हहर'ने धनि मेघ आसन बदलतै
पछतो बादरि हमर गां बरसतै
त' पोसब मखान धनिया !
धान जौं ने हेतै रोपबै
बैसक्खा पात पान धनिया !!
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