मधुश्रावणी पूजा सैं पहिने लड़का बाला ओहिठाम लड़की बला क ओतय सं नोत जाइत अछि. नोत में पांच टा रांगल सुपारी आ पीरा कागज़ पर लाल कलम सं लिखल लड़का क पिता क नाम सं पता जाइत अछि . मधुश्रावणी पूजा क ओरिआओन जाहि कन्या के नव विवाह भेल छनि ओ सावन क चौठ क संध्या काल भिन्न प्रकारक फूल आ पात तोरि रखैत छैथ जाहि घर में पूजा होयत टकरा बढियां सैं साफ़ कय निचा देल चित्र क अनुसार अरिपन पडत ।
पूजा क सामग्री –
गौरी बनेवाक लेल
साँझ खन भगवती ,महादेव ,ब्राह्मण ,हनुमान और गौरी कय गीत गावि, दुईब,कांच हल्दी ,धनिया (कनी )मिला क गौर बनत,जकरा ढउरल सरवा पर एकटा सिक्का पर गौरी राखि पान क पात स झापि ,पान क पात क ऊपर सिंदूरक गद्दी राखि ललका कपडा स झापि भगवति लग राखि देवेइ I
पाँच टा मैना पात आ पाँच टा केरा पात सासुर दिस सं आ पाच टा मैना पात आ पाँच टा केरा पात नैहर दिस सं रहत जाहि में सबटा पर पाँच पाँच टा बिसहारा सिन्दूर सं ,काजर सं ,पिठार सं आ श्री खंड चानन सं लिखल जायत
नैवेद्य क लेल – अरवा चावल,चूड़ा,चीनी ,आम,कटहल,केला,अंकुरी , चनाई क हेतु एकता डाली में अरबा चावल ,पैसा और एटा छाछी में दही रहत ,
बिन्नी के मोटरी में – धनी,धान,दुब ,हरिद ,सुपारी ,बड़ी इलाइची,लौंग ,छोटकी इलाइची (11 टा क )आ पैसा सब के एक टा ललका कपडा में बाँधी के पोटरी बनायल जायत,
पुरहर ,पातिल आ ओहि के निचा में धान राखल जायत
गाय क दूध ,पान सुपारी ,गौरी क लेल फूल ,नीम क पात,नेबू,कुश,
पाँच टा मईटक बिसहारा नैहर सं आ पाँच टा सासुर सँ ।।
पहिल दिन क कथा
मौना पंचमी क कथा -
एक दिन एकटा बूढी स्नानक हेतु पोखैर गेलि त देखलखिन जे धार में एकटा चिकनी पात पर पाँच टा किछु लहलाहैत अछि I ओ जीव सब बूढी के कहलखिन जे –हे बूढी ! गाम जा क लोक सब के सूचित क दिअऊ जे आई मौनी पंचमी थिकैक से लोक सब अपना घर आँगन के निक जेकाँ पवित्र कय,स्नान कय पाँच टा मईटक आकृति बना ओहि में सिंदूर-पिठार लगा दूभि साईट देथिन आ हुनका पर नेबो, नीमक पात ,कुश चढेथिन I नव बर्तन में खीर आ घुरजौर बनेती .ओकर बाद बिसहारा क पूजा कय हुनका दूध,लावा ,खीर आ घुरजौर चढ़ा अपनों सब नेबो नीम खीर-घुरजौर के सेवन करैथ I जे कियो एही प्रकारे पूजा करता तिनका कल्याण हेतनि I
बूढी गाम आबि सबके कहलखिन I सब गोटा बूढी के कहलानुसारे पूजा केलनि,मुदा किछु लोग एकरा मात्र खिस्सा बुझि अनठा देलैथ I जे सब पूजा केलैथ से सब त ठीक रहला मुदा जे नय केलैथ से सब राति में मरि गेल I गावँ में हाहाकार मचि गेल I सब लोग धार लग ओहि बूढी संगे फेर गेलैथ त देखलखिन जे पाँचो बिसहारा साँप ओहिना लहलहैत छेलेथ I सब हुनका आगु कल जोरि मुइला क जियेवाक उपाय पुछलखिन I तखन बिसहारा कहलखिन जे – पहिने त ओ सब हमरा अनुसारे पावनि नहीं केलैथ ते सब मरि गेला ,आब एके उपाय जँ गाम में ककरो कराही में खीर-धोरजौर लागल हैत तँ ओकरा मूईल सब के मुँह में चटा देवैक त ओ सब पुनः जीवित भय जेता मुदा आगु सं नियमित मौनी पंचमी के पूजा करता I
गाम क लोक बिसहारा क कहलानुसार केलेथ आ सब मुइल लोक सब पुनः जीवित भय गेला ,और सब गोटा बिसहरी माता क प्रणाम कई हुनका स क्षमा मंगलैथ I
बिसहारा क जन्म
एक दिन गौरी महादेव सरोवर में जल क्रीङा करैत छलाह I संयोगवश शिव के वीर्य स्खलन भय गेल I महादेव ओकरा पुरैनिक पात पर राखि देलखिन I ओहि सं बिसहारा पाँचो बहिन क जन्म भेल I महादेव के अपना संतान पाँचो बिसहारा सं मोह भय गेल ,ओ प्रतिदिन सरोवर में स्नान लेल जाथिन आ बङी -बङी काल धरि ओकरा सब संगे खेलैथ I गौरी क संदेह होमए लगलैन I ओ एक दिन महादेव के पाछु पाछु सरोवर तक गेलथ आ ओतय शिव के अनका संगे खेलाइत देख क्रोधित भय गेलैथ आ सब बिसहरी के फेकए लागलि I तखन महादेव हुनका बुझेलखिन जे ई सब हुनकर बेटी छिएनि आ कल्याणकारी छैथ I मृत्युभुवन में सावन मास जे एय पाँचो बहिन छी-जाया ,बिसहरी ,शामिलबारी आ दोतलि के पूजा करतैथ ओ धन-ध्यान सं पूर्ण होयतथि आ ओकरा सब तरहे कल्याण होयत I
कथा सुनला उपरांत नीचा लिखल बाचो बीनी सुनितीं -
बाचो बीनी
“पुरैनिक पत्ता ,झिलमिल लत्ता ताहि चढ़ी बैसली बिसहरी माता I
हाथ सुपारी खोईंछा पान ,बिसहरी माता करती शुभ कल्याण
“II
देवता सब के प्रणाम करि बिनी क पोटरी कलश पर राखि सब जेष्ठ सब के प्रणाम करि ,पूजा बला साडी खोलि राईख देथिन,जकरा फेर सब दिन पूजा काल पहिरल जायत I
साँझ में साँझ आ कोहवर क गीत गायल जायत I एहिना मधुश्रावनी सं एक दिन पूर्व तक पूजा कथा आ बीनी होईत रहत I
पहिल दिनक मधुश्रावणी पूजा कथा समाप्त भेल , आगू क्रमशः दिन प्रतिदिनक पूजा कथा प्रेषित करैत रहब..कुनु त्रुटि लेल समस्त मिथिला सँ क्षमा चाहब..!!!
Neelam Jhaa
मिथिला मंथन
साभार - संस्कार मिथिला
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