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गुरुवार, 9 मई 2019

यौ , मधुमेह बाबू , आहाँ छी महान । । गीतकार - रेवती रमण झा "रमण"

          || बूढ़ हमरा बना, आहाँ भैलो जवान ||
             
             यौ , मधुमेह बाबू , आहाँ छी महान ।
             बूढ़ हमरा बना , आहाँ भेलौं जवान ।।

            धीरे - धीरे सभतरि पसारि लेलौ माया
            जकरा लग बैस गेलौ , जरि गेलौ काया

           हँसलौ  आहाँ , हमर  गेल  मुस्कान ।
           यौ , मधुमेह बाबू , आहाँ छी महान । ।

           दयादृष्टि    आहाँक , हम    जिबै     छी
           काया   निचोड़ि  हमर  खून  पिबै   छी

           टुकुर  टुकुर  ताकि  हम  बैसल दलान ।
            यौ , मधुमेह बाबू , आहाँ छी महान । ।   

           रहै  छी  अजूरे  हम , आहाँ  जुराई  छी
           सोझाँ में सब किछु , किछु नै खाई छी

          गेल पावनि तिहारक मधुर पकवान ।
          यौ , मधुमेह बाबू , आहाँ छी महान । ।

         तेजि देलक सब , आहाँ छोरि कय नै गेलौ
         "रमण"  सं  अहि  एक  प्रीत  लगय  लौ

          हमर   एहि   पिरितिया   में   गेलै   परान ।
          यौ , मधुमेह बाबू , आहाँ छी महान । ।

                           
                                गीतकार 
                     रेवती रमण झा "रमण"
                                    

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