|| कव्वाली ||
तड़प कर मरते दीवाने
तड़प कर मरते दीवाने
अजब ए प्यार की नगरी , का किस्सा क्या सुनाना है
तड़प कर मरते दीवाने , ऐसा दिल लगाना है ।।
बड़े जोखिम उठा के वो ,सदा छुप - छुप के मिलते है
कभी काँटो पे चलते है , कभी शोलो में जलते है ।।
उसी में रूठ जब जाती , तो फिर उसको मनाना है ।।
अजब.....
सदा शूली पे चढ़के वो , सभी वादे निभाते है
कभी दिल को जलाते है , कभी मरहम लगाते है ।।
जालिम बेवफाओ का करतब क्या सुनाना है ।।
अजब.....
कुछ तो लोग ऐसे है , जो खाते है , खिलाते है
कभी इससे , कभी उससे , हमेशा दिल लगाते है
काम ऐसे आशिक का , हमेशा दिल जलाना है
अजब...
होता कोई लाखो में , जो सच्चा प्यार करता है
जिसे देता वो अपना दिल , उसी पे आहे भरता है
उसके जी से जा पूछो , लुटा जिसका खजाना है
अजब......
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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