dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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शनिवार, 8 अगस्त 2015

कविता ने गीत लिखै छी

ने कविता ने गीत लिखै छी।
ने मिठगर ने तीत लिखै छी।।
     सत्य लिखै छी व्यथा लिखै छी।
     अपने अप्पन कथा लिखै छी।।
पुन्य लिखै छी पाप लिखै छी।
मुनि सँ भेटल श्राप लिखै छी।।
       विरह वियोग विलाप लिखै छी।
        शोक दर्द सन्ताप लिखै छी।।
श्रमिक जन्म अभिषाप लिखै छी।
दु:ख प्रारब्धक पाप लिखै छी।।
        जन्म मृत्यु संसार लिखै छी।
        ब्रह्म वेद आधार लिखै छी
स्वर्ग लिखै छी नर्क लिखै छी।
 अप्पन अप्पन तर्क लिखै छी।।
         अर्थ लिखै छी व्यर्थ लिखै छी।
          बेचल कलम अनर्थ लिखै छी।
 राजा के सम्मान लिखै छी।
धनबल के गुणगान लिखै छी।।
        " बक्शी" व्यर्थ प्रतिवाद करै छी।
           हम कोनो अपराध करै छी।।

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