dahej mukt mithila

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सोमवार, 3 अगस्त 2015

इतिहास

इतिहास

लिखब आब नबका खिस्सा यो। रचब आब
नबका इतिहास यो ।
गाम गाम में नगर नगर में। फेलाय्व नबका
इजोत यो।
रिधि सिध्दि भय गेल मिथिला से । भय
गेल कोश दूर यो ।
सांति के खा गेल।
मिल के सब कुर्र्र यो मिटायब भूख भय
संसय।
लोकक मोन से।
लिखब नया इतिहास यो।
महगाई डाईन मुहँ फारने। बिकराल यो।
धुरंधर महा रथी सब बजा रहल अछि मिल
के गाल यो।
माँ मिथिला के सब मिलके बना रहल
अछि ग्रास यो।
लिखब नया इतिहास यो।
घमासन मचल अछि चहुदिस
लुट खसोट के।
कियो खाईये घी मलीदा।
कियो मरुवा रोटी यो।
असली मालिक अछि जनता
बनल अछि दास यो
वडू आगू पवन  संग मिथिला वासी
लियय नया संकल्प यो।
घर घर में दहेज़ के आगि केने अछि लाचार
यो।
मस्ती में जी रहल अछि नेता सब चमचा सब
माला माल यो।
जे जतेक उपर वेशल अछि
ओ ओतेक प्यासल यो

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