dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

फ़ेसबुकिया पति (कविता)


केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

फ़ेसबुक पर दिन भरि बैसल
धड़ खसौने वो असगर बैसल
घरमें भेल मुंह फ़ुल्ली-फ़ुल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

मुंह मोड़ि, सब काज छोड़ि,
दिनचरजा के देलखिन तोड़ि
आब प्रियतम भेल निठल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

कनफ़ुकबामें मुंह-कान सटौने
मूस-पीठके सदिखन मूठियेने
सीन देखिकए फ़ूटे हंसगुल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

धिया पुता के भेल आजादी
सच पुछू त भविष्यक बरबादी
ककरो अलगे ने कोनो कल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

घरक कनिया तनिया मुनिया
नून, हरदि, दालि मूंग ,धनिया
भंसा घरक खाली भेल गल्ला
गृह-कलह जानल सब मोहल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला ।

- भास्कर झा 20 जुलाई 2012

कोई टिप्पणी नहीं: