||मिथिला वासी सब मैथिल छथि ||
विद्यापति केर गीत कोयलिया
गाबि रहल अछि भोरे सं ।
मिथिलावासी सब मैथिल छथि
सुनू कहैत अछि जोरे सं ।।
मिथिला वासी....
कुलदेवी चिनुआरे बैसलि
कुल पर ध्यान धेने छथि ।
अचरी मौर माथ पर राजित
गुड़हल फूल लेने छथि ।।
जय-जय भैरवि असुर भयावनि
सुनिते अयलहुँ ओरे सं ।।
मिथिला वासी....
वर सोहर समदाउन नचारी
बटगवनी अछि जन - जन में ।
उगना दास दिगम्बर भोला
छथि मिथिला के कण-कण में ।।
विद्यापति विरहिनिक व्यथा के
सबटा लिखलनि नोरे सं ।।
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