कहाँ गेलौ यौ बैसु बाउ ।
लिय तमाकुल तेजगर खाउ ।।
पढ़ि लिखि करब छीलब की घास ।
विदाउट इंग्लिश परमोटेड पास ।।
धरु अपन पुस्तैनी पेना ।
पूर्व पितामह कैलनि जेना ।।
करू घूर करसी सुनगाउ ।
खटरस चुटकी बात बनाउ ।।
इंजीनियर भेल कते कनै छथि ।
झामगुरि सब दिन गनैछथि ।।
पढ़ि लिखि करत कहु की क कय ।
घरक कैंचा अपन द कय ।।
होउ दियौ चुटकी सरिया कय ।
फुरत बात तखन फरिया कय ।।
तेजगर पात तमाकुल मगही ।
चुनबैत लागत खन-खन बगही ।।
सेकू हाथ दुनू सरिया कय ।
लीय तमाकुल चून मिला कय ।।
नोकर चाकर अनकर नोकरी ।
तै सं अपन उठायब टोकरी ।।
ओ कि माइक जनमल बेटा ।
हम की माइक उपजल टेटा ।।
उपजायब खायब घर चोकर ।
कलम वला के राखब नोकर ।।
सब सं बुद्धिक बुद्धू हम ही ।
मोछक उठल हमरो पम्ही ।।
हम की माउग थिकौं अग्यानि ।
अनकर बात लेबै हम मानि ।।
होउ तरहथ दय दीयौ चाटी ।
अंग्रेजिया छोरु परिपाटी ।।
उरत चून नहि काटत ठोरो ।
कि, धरफर करू गिनै छी कोरे ।।
पान करू रस चुसि - चूसि कय ।
मिथ्या नै छी कहैत फूसि कय ।।
खोलू पानबटा परसू पान ।
ई मिथिला केर थिक दलान ।।
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
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