|| कृषि - गीत ||
निज हाथ कुदारिक बेंट धरु
हर बरद के साजि पिया
निज हाथ कुदारिक बेंट धरु ।
कूसक वंश उखारि धरा
सगरो धरती गुलजार करु ।।
माटिक पूजा तन माटि तिलक
माटि चरण गहि आब परु ।
जन-जन के प्राण किसान पिया
अपन देशक दुःख दूर करु ।।
पिया आहाँ बनू देशक किसान
किसानिन हम बनबै
किसानिन हम बनबै ।।......
माटिक तन सं नेह लगायब
देशक गरीबी के दूर भगायब
बनू आहाँ पिया देशक परान
सुहागिन हम बनबै
किसानिन हम बनबै ।।........
आगाँ-आगाँ आहाँ पिया हर चलायब
पाछाँ-पाछाँ हम पिया टोर खसायब
देतै कोइली बाँसुरिया के तान
पपिहरा के प्रीत सुनबै ।
किसानिन हम बनबै ।।........
सदिखन बगिया के नयना निहारब
गोबर खाद पानि सब दिन डारब
मुँसुकायत गहूम नव धान
मकै एक शान करबै ।
किसानिन हम बनबै ।। ........
हाथे में आब पिया वोडिंग दमकल
चहुँदिश खेत में जलधार चमकल
देखू "रमणक" पुरल अरमान
भारत के भूमि भरबै ।
किसानिन हम बनबै ।।........
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
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