dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

मांगिते रहिगेलौ नइ देलौ आहाँ ।। गीतकार - रेवती रमण झा " रमण "

               || मांगिते रहिगेलौ नइ देलौ आहाँ ||
                                      

प्यार पावन वसन्तक उधारे रहल,
  मांगिते  रहिगेलौ  नइ  देलौ  आहाँ ।
  हम चितवन के उपवन में हेरि रहल,
  हे सुकन्या कहू ने कहाँ छी आहाँ ।।
                                               प्यार पावन........

पाँखि देलैन नइ हमरा विधाता हयै,
 पार  सात  समन्दर  में  ढूंढि  लितौ ।
 विधुवदनी  सुभांगी   सुनयना  सुनूं ,
    चान पूनम के बनि आइ आबू आहां ।।
                                           प्यार पावन.......

   चित लागल तय् लागल आहां सं कोना,
    जानि पौलहुं नइ  छन में  छनाके  भेलै ।
    मूक  नैनाक  भाषा  नइ  पढ़ि हम  पेलौ,
     एक  तूफान  दिल   में  द  गेलौ  आहाँ ।।
                                         प्यार पावन.......

     स्वर्ग भू पर कतौ  त  आहाँक प्यार अई ,
   "रमण"  बाकी जतेक सब  बेकार अई ।
    छी   प्रेमक   पुजारी   भिखारी    बनल,
      बुन्द  स्वाति वरषि   बनि आबू   आहाँ ।।
                                        प्यार पावन.......

गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "

कोई टिप्पणी नहीं: