पतिक दीर्घायुक कामना के लेल मनाओल जैत पाबनि बरसाइत :-
पतिक दीर्घायुक कामना करैत रविदिन १७/५/२०१५ के मिथिलान्चलक महिला बरसाइत (बट सावित्री) पाबनि पुजती। ब्रातालु महिला भोरेसं नदी , पोखरिमे जा क' स्नान क' बरक गाछतर परम्परागत रुपसं पुजा पाठ हेतु उपस्थित हेतीह । मिथिलान्चलमे महिला बडड श्रद्धाक संग अहि पावनि के मनबैत छथि । सावित्री आ सत्यवानक जीवनगाथासं ई व्रत जूडल हएबाक कारणे अहिवातक लेल महत्वपूर्ण मानल गेल अछि । अहि पाबनि में बरक गाछमे जल चढाओल जाइत अछि त नवका बाँसक बियैन आ तारक पंखा सँ वरके गाछके होंकल जाइत छैक । व्रतालु स्त्रीगण एहि दिन प्रात: काल नित्यकर्म क' सासुर सँ आनल कपडा पहीर सखी सहेली संगे मंगलगीत गबैत वरक गाछके पूजैत छथि । व्रती महिला निष्ठापुर्वक गौरी आ विषहरके पूजा क' अन्त्यमे सत्यसावित्री आ सत्यवानक कथा सुनैत छथि ।
पतिक दीर्घायुक कामना करैत रविदिन १७/५/२०१५ के मिथिलान्चलक महिला बरसाइत (बट सावित्री) पाबनि पुजती। ब्रातालु महिला भोरेसं नदी , पोखरिमे जा क' स्नान क' बरक गाछतर परम्परागत रुपसं पुजा पाठ हेतु उपस्थित हेतीह । मिथिलान्चलमे महिला बडड श्रद्धाक संग अहि पावनि के मनबैत छथि । सावित्री आ सत्यवानक जीवनगाथासं ई व्रत जूडल हएबाक कारणे अहिवातक लेल महत्वपूर्ण मानल गेल अछि । अहि पाबनि में बरक गाछमे जल चढाओल जाइत अछि त नवका बाँसक बियैन आ तारक पंखा सँ वरके गाछके होंकल जाइत छैक । व्रतालु स्त्रीगण एहि दिन प्रात: काल नित्यकर्म क' सासुर सँ आनल कपडा पहीर सखी सहेली संगे मंगलगीत गबैत वरक गाछके पूजैत छथि । व्रती महिला निष्ठापुर्वक गौरी आ विषहरके पूजा क' अन्त्यमे सत्यसावित्री आ सत्यवानक कथा सुनैत छथि ।
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