दहेज़ प्रथा
इस बीमारी का तुम भी
शिकार तो हुई थी
नाना जी के लिए तुम भी
तो भार बनी थी
जरा सोचो तुम
उस समय हाल क्या हुयी थी
नाना - नानी का हाल भी
बदहाल तो हुयी थी ।
धुप भी यही था
छाव भी यही थी
रास्ते में कंकर भी
अबसे बड़ी थी
जब आते थे थककर
वो रिश्ता को खोजकर
ना कहते ही आपका
हाल क्या हुई थी ।
आप नारी हो
नारी की कीमत तो समझो
पिताओ की मन की
पीड़ा तो समझो
इस बीमारी को भगाओ माँ
काली तुम बनकर
मिटादो दहेजो की
लालच को डटकर
तुम्ही से तो लोगो को
प्रेरणा मिलेगी
दहेज़ की बीमारी
दूर तो भगेगी
बेटी के होने पर
चिंता ना होगी
चारो तरफ
खुशिया ही खुशिया मनेगी ।
संजय कुमार झा "नागदह" २५@०५@२०१३
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