स्नेह लगाक@प्रभात राय भट्ट
स्नेह लगाक किये मुह मोईड लेने छि,
प्रीत जगाक दिलमे किये छोइड देने छि,
अंहि सिखेलौं हमरा यी प्रेमक परिभाषा,
जुनी बनू बेदर्दी पूरा करू हमर अभिलाषा,
उईड चलू प्रेम नगर मोनमें इक्षा जगल,
मिलनके प्यास बुझाब हम येलु भागल,
प्रेम मे अहांक प्रियतम भेल छि हम बताह,
सभटा जनैतबुझैत अहां बनल छि घताह,
हम अहां बिनु जिब नए सकब सजनी,
जहर बियोगक पीव नए सकब सजनी,
हम देखैछि अहांके जेना चाँदके देखैय चकोर,
आऊ सजनी अन्हार जिन्गिमे कदीय ईजोर,
देखू रिमझिम रिमझिम बरशैय साबनके बदरा,
फुल अहां छि हम भंभरा,रसपान कराउ हमरा,
रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
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