dahej mukt mithila

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गुरुवार, 16 जून 2011

मिथिला दर्शन भाग - ६

पूर्णिया -
उत्तर बिहार में एकटा प्राकृतिक आ जल संपदा से भरपूर जिला छल पूर्णिया। एही जिला के प्राकृतिक सुन्दरता देखे बला ये। गरीब के दार्जलिंग के नाम से प्रसिद्ध ई जिला कैकटा मिथिला के सपूत पैदा करलक ये। पूर्णिया जिला के स्थापना१९५१ में भेल छल। फणीश्वर नाथ रेनू संका बड़का लेखक याह माटि से जनमल ये। कुल मीलाके अहाँ ई कही सकय छी प्रकृति के गोद में बसल कलाकार के जिला छल ई पूर्णिया।

इतिहास -
हिन्दू धर्म के इतिहास में पूर्णिया जिला के महत्व बड़ पैघ अछि। एहन मानल जाय ये की शुरुवात में एही जिला के विस्तार पूरब में अनस आ पश्चिम में पुन्द्रा तक रहे
महाभारत में भी भीम के विजय अभियान के दौरान एही जिला के किछु वर्णन आएल छल
। एहन कहल जाय ये की भीम मुंगेर आ पूर्णिया के किछु जगह पर अपन विजय अभियान के क्रम में आयल रहे। बुद्ध के जीवनकाल से भी एही जिला जुडल ये कियाकि एतोका कुछ जगह से अखनो धैर बुद्ध अवशेष भेटल ये। आज़ादी के लड़ाई में ते एही जिला के खासम-खास योगदान रहे १९४२ के क्रांति में एही जिला के कैकटा वीर सपूत अपन देश के लेल जान कुर्बान के देलक।

भूगोल - 
गरीब के दार्जलिंग के नाम से प्रसिद्द एही जिला के उत्तर में अररिया, दक्षिण में कटिहार आ भागलपुर, पश्चिम में पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर आ बिहार के किशनगंज जिला आ पूरब में सहरसा आ मधेपुरा जिला छल। जिला के कुल क्षेत्रफल ३,२०२ वर्गकिलोमीटर अछि। पूर्णिया जिला में पानी के भरपूर मात्र छल आ हिमालय से निकले बला नदी के कारण हरेक साल एही जिला के भयंकर तबाही के सामना करय ले पड़य ये। एतोका माटि जलोढ़ आ चिक्कैन छल मुदा पश्चिम के किछु भाग में अहाँक बलुआहा माटि देखय ले भेट जाएत। एता औसत वर्षा १२०० मिलीमीटर से १४०० मिलीमीटर तक होए ये। जिला के तापमान ३१ से ४५ डिग्री सेल्सियस तक अछि। पूर्णिया जिला के मुख्य फसल जुट आ केला अछि।


जनसंख्या आ शिक्षा -

२००१ के जनसँख्या के अनुसार पूर्णिया जिला के जनसँख्या २,५४३,९४२ छल जाही में जाही में पुरुष के जनसँख्या १,३२८,४१७ आ १,२१५,५२५ छल। साक्षरता के प्रतिशत एता ३५.१०% छल जाही में पुरुष के प्रतिशत ४५.६३% आ महिला के प्रतिशत २३.४२% छल।

प्रशासनिक विभाग -

पूर्णिया जिला में ४ टा अनुमंडल, १४ टा प्रखंड, २५१ टा पंचायत, १२९६ टा गाँव आ २७ टा पुलिस स्टेशन छल।
अनुमंडल - पूर्णिया, बैसी, बनमनखी, आ धमदाहा छल ।
प्रखंड - पूर्वी पूर्णिया, कृत्यानंद नगर, बनमनखी, कस्वा, अमौर, बैंसी, बैसा, धमदाहा, बरहारा कोठी,  भवारुपौली,नीपुर, दगरुआ, जलालगढ़, आ श्रीनगर छल।
प्रमुख नदी-  एतोका प्रमुख नदी कोशी, महानंदा, सुवारा काली आ कोली नदी छल।

पर्यटन स्थल -

कामाख्या मंदिर - जिला मुख्यालय से १४ किलोमीटर दूर आ तीन टा गाम रहुआ, माज़रा, आ भवानीपुर के सीमान पर बनल माँ कामाख्या के मंदिर हिन्दू के लेल बहुताहीं आस्था के जगह छल। दूर दूर से लोग एता माँ कामाख्या के दर्शन के लेल आबय ये। कहल जाय ये की एता अहाँ माँ कामाख्या से जे मांगब तकरा माँ कामाख्या तुरत्ते पूरा कए दए ये ताहि लेल दूर-दूर से आबय बला भक्त के एता भीड़ लागल रहय ये।

गंगा दार्जलिंग रोड -  ब्रिटिश काल में पूर्णिया से बेगुसराय होएत दार्जलिंग तक एकटा सड़क जाय छल जाकर गंगा दार्जलिंग रोड कहल जाय ये। ब्रिटिश काल के पूर्णिया जे लगभग २५० साल पुरान अछि  में ई रोड प्राकृतिक सुदरता के अभूतपूर्व नज़र से भड़ल छल। ई रोड पूर्णिया के लाइन बाज़ार, ततमा टोली, आता मिल, आ पोलिटेक्निक चौक से जुडैत अछि। सबसे अद्भुत आ आश्चर्य के गोप ई जे एही सड़क पर स्वतंत्रता के पचास साल बादो तक एकटा लकड़ी के पुल छल जे की पूरा भारत में अपना आप में पहिल राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनल लकड़ी के पुल छल।

पूरन देवी मंदिर या काली मंदिर - जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर ई मंदिर में माँ काली के एकटा भव्य आ आकर्षक मूर्ति अस्थापित अछि। लोग के लेल अगाध आस्था से भरल एही मंदिर में अहाँ हरेक दिन भीड़ देखि सके छी। दीवाली में एतोका काली-पूजा देखय बला होए ये।

पूर्णिया के बाघनगर - अररिया के दक्षिण पश्चिम में बसल ई गाँव एतिहासी महत्व राखय ये। किछु दिन पहिने एता खुदाई में एकटा गुफा के अन्दर से किछु प्राचीन सिक्का भेटल रहे। संगे एता किछु ईंट सेहो भेटल जे की पुरातत्व के अनुसार काफी पुरान अछि।

बलदियाबारी - जिला के दक्षिण में आ नवाजगढ़ से आधा किलोमीटर दूर एही जगह एतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण अछि। १७५६ में भेल शौकत जंग आ सिराजुदौला के बीच भेल जंग के एही गाम गवाह अछि।

बंदर झुला -  किशनगंज से करीब ३९ किलोमीटर दूर नेपाल के सीमा से सटल एही गाम में पुरातत्व विभाग के तरफ से करल गेल खुदाई में भगवान् विष्णु के एकटा पूर्ण स्वरुप निकलल रहे जे की करिया संगमरमर से बनल अछि। एटोका लोग एही मूर्ति के कन्हैया कहय ये। एहिठाम हरेक साल एही मूर्ति के पास एकटा छोट सनक मेला सेहो लगय ये।

बरहरा कोठी -  बरहरा कोठी प्रखंड मुख्यालय छल, एकर नाम कोठी एही लेल पड़ल कियाकि ब्रिटिश के जमाना में एता एकटा अंग्रेज के कोठी रहे। एता एकटा शंकर भगवन के प्रसिद्द मंदिर सेहो छल। एही मंदिर के भगवान् के नाम बाबा बरनेश्वर छैथ। दक्षिण मुख्यालय से ई जगह २ किलोमीटर दूर अछि।

कमलपुर - बरहरा कोठी प्रखंड के अंतर्गत आबय बाला ई गाँव अपन नाम कए चरितार्थ करैत छैथ। एही गाँव में कोका एक तरह के कमल के एकटा बड़का तलब छल जाही में कोका फुल भरल रहे छैक।

बरीजनगढ़ - बहादुरगंज पुलिस स्टेशन से ८ किलोमीटर दक्षिण में बसल एही गाम में एकटा पुरान किला के अवशेष ये। जेना की नाम से स्पस्ट ये की एही गाम के राजा बरिजन के रहे जे राजा बेनु के भाई रहे। किला के अन्दर एकटा पोखैर सेहो छल।

बथनाहा - ई गाम दू टा मंदिर के लेल प्रसिद्ध अछि एकटा महादेव आ दोसर दुर्गा। दुनु टा मंदिर हिन्दू धर्म के दुनु पैघ भगवान के छल जे गाँव बला के लेल महान आस्था के लिए जानल जाए ये।

बेनुगढ़ - करीब एक एकड़ के क्षेत्र में फैलल एही जगह में एकटा उजड़ल किला छल। ई किला राजा असुर के भाई बेनु के छल। एही किला के भव्यता के अंदाजा एही बात से लागायल जाय सकय ये की एक एकड़ में अखनो धैर एकर जीर्ण शीर्ण अवशेष बचल ये।

चकला - जेना की नाम से सिद्ध होए ये ई गाम बैलगाड़ी, टमटम आ एहने आर गाड़ी जाही में लकड़ी के चक्का उपयोग में आबय ये के निर्माण के लेल प्रसिद्ध अछि। गाम के लोग के मुख्य जीविका के साधन चक्का बनानाय ये। संगे एतोका लोग घी आ मख्खन पे बेसी निर्भर रहय ये।

धरहरा -  जिला के एकदम से पश्चिम में रानीगंज से १९ किलोमीटर दक्षिण में बसल ई गाम महाभारत काल के साक्ष्य ये। कहल जाय ये की एहिठाम अपन भक्त प्रह्लाद आ सनातन धर्म के रक्षा के लेल भगवान विष्णु नरसिंह अवतार लेलक रहे आ राजा हरिनाकश्यप के वध केलक रहे। एहिठाम एकटा इंडिगो के कारखाना आ एकटा पुराना किला सेहो छल ई पुराना किला के सतलगढ़ के किला कहल जाय ये।

फारबिसगंज -
भट्टा बाज़ार के बाद ई जगह पूरा पूर्णिया जिला के सबसे पैघ बाज़ार अछि। व्यवसायी के गढ़ एही जगह में कैकटा बड़ा-बड़ा व्यावसायिक केंद्र छैक। एही जगह हरेक साल नवम्बर आ दिसम्बर में एता एकटा भव्य मेला लागय ये। संगही एता एकटा प्रसिद्ध पोखैर सेहो छल जे सुल्तानपोखैर के नाम से जानल जाय ये।

जलालगढ़ - जिला मुख्यालय से १३ किलोमीटर उत्तर में बसल ई गाँव एकटा जीर्ण शीर्ण आ उजड़ल किला के लेल जानल जाय ये। कोशी के कछार पर बसल एही किला के दिवार के बनावट एहन ये की ई नेपाल से आबय बाला दुश्मन से एकर रक्षा करैत छल। खगरा राज परिवार के पहिल राजा सैयद मोह्हमद जलालुद्दीन के लेल बनायल एही किला के सुन्दरता ओ समय में केहन हेता एकर वर्णन अहाँ अखुनका किला देख के लगाय सके छिये। अपना आप में वास्तुकला के एकटा अद्भुत नज़ारा पेश करय ये ई किला।

किशनगंज - एही जगह के साक्ष्य महाभारत काल में देखय ले भेट जाएत, एहन कहल जाए ये की अपन विजय यात्रा के क्रम में भीम एही जगह पर आएल रहे आ ओतोका शक्तिशाली राजा कर्ण आ मोददिरी के युध्य में हराय के राजा पुनद्रस के दए देलक रहे। एहनो मान्यता ये की महाभारत में पांडव के १२ बरस के अग्यात्वास में ओ राजा बिराट के कहल पर किछु दिन एता बितेलक रहे। एहिठाम ठाकुरगंज के पास एकटा बड़का सनक तालाब छल जकरा भटड़ला कहल जाये ये छल कहल जाय ये की एही तालाब के उपयोग पांडव के धर्मपत्नी द्रोपदी करैत रहे। किशनगंज से मात्र ७-८ किलोमीटर दूर राजा बिराट के जन्स्थल सेहो छल जाकर किचकाबाढ़ के नाम से जानल जाय छल एहिठाम बरौनी स्नान के काल में एकटा भयंकर मेला सेहो लागय छल।

कुरसेला - कुरसेला कुरु+शिला के अपभ्रंश छल जकर मतलब होए ये पहाड़ी क्षेत्र जे राजा कुरु के राज्य क्षेत्र में पड़य ये। एता से मात्र ६ किलोमीटर दूर एकटा पहाड़ी क्षेत्र छल जेकरा बटेश्वर पहाड़ी कहल जाय ये एता एकटा शंकर भगवन के मंदिर सेहो छल। विक्रमशिला विश्वविद्यालय के किछु हिस्सा एही पहाड़ी से सटल ये।
कुरसेला क्षेत्र यहो ले प्रसिद्ध अछि कियाकि ई जगह मशहूर चित्रकार श्री अवधेश कुमार सिंह(एम्.पी.) के जन्मस्थान सेहो छल। राधाकृष्णन के समय में हिनकर पेंटिंग के प्रदर्शनी दिल्ली में लागल रहे। श्री सिंह एकटा पैघ चित्रकार के साथ-साथ बड़का समाजसेवी आ दानी सेहो रहे बिनोवा भावे के चालायल भूदान आन्दोलन में इ अपन करीब ४,००० एकड़ जमीन दान कए देलक रहे। श्री सिंह के देहानवास १९५८ में भए गेल। तकर बाद एकर जवान बेटा दिनेश कुमार सिंह केंद्र में मंत्री रहल आ बिहार के विकाश में अहम् योगदान देलक हुनकर योगदान के बिहार आ कुरसेला के लोग कहियो नै बिसरत।

लालबाबू - १४ किलोमीटर मैदान के अंत में बनल एकटा ईदगाह मुश्लिम लोग के लिए अगाध आस्था के जगह ये। हरेक ईद आ बकरीद के दिन एता मुसलमान के जमावड़ा लागय ये आ बहुत पैघ संख्या में लोग नमाज़ अदा करय ये। एही जगह १८५७ के विद्रोह में ११ दिसम्बर १८५७ के भागलपुर के कमिश्नर युल के संग एतोका लोग के साथ भयानक जुद्ध भेल रहे।

मदनपुर - अररिया से १० किलोमीटर ई गाम में शंकर भगवान् के एकटा मंदिर छल एही मंदिर के महादेव के भगवान् मदनेश्वर कहल जाए ये, हरेक शिवरात्रि में एता बड़का मेला लागय ये जाहि में दूर-दूर से भक्त सब आबय ये।

मनिहारी -  ई गाम के किस्सा महाभारत काल से जुडल ये एहन कहल जाय ये की महाभारत के समय में भगवान् कृष्ण के एकटा कीमती मणी( एकटा आभूषण में उपयोग आबय बाला रत्ना) एता हराए गेल रहे ताहि से एकर नाम मनिहारी यानि मणी हराए गेल पड़ि गेल। एहिठाम राजा बिराट के जमाना के एकटा गौशाला सेहो छल जाही में एता कला पत्थर से शंकर भगवान् के शिवलिंग बनल ये।

सरसी - जिला मुख्यालय से २९ किलोमीटर उत्तर में बसल ई गाँव में शंकर भगवान् के एकटा मंदिर आ एकटा ईदगाह छल। एहिठाम इंडिगो प्लान्टर के एकटा उजडल कोठी सेहो छल। ई कोठी अपन जमाना में यूरोपियन के लेल एकटा प्रसिद्ध कोटि रहे।

ठाकुरगंज - एहिठाम महाभारत काल के राजा बिराट के महल के किछु पत्थर भेटल रहे एहन कहल जाए ये की असली बिराटनगर याह छल नै की नेपाल बला(एहन भ्रान्ति छल), महाभारत के पांडव के अज्ञातवास के काल में राजा बिराट पांचो पांडव के अपन महल में शरण देलक रहे। एही गाम ई बात के निशानी छल।

आदमपुर - एही जगह पर एकटा दुर्गा माता के विशाल मंदिर छल। नवरात्री के दिन एता पैघ मेला लागय ये। दूर-दूर से लोग एता आबय ये आ माँ के पूजा करय ये। एहन कहल जाए ये की एता मांगल मनोकामना तुरन्त माँ पूरा कए दए ये।

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