dahej mukt mithila

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बुधवार, 15 जून 2011

मिथिला दर्शन भाग - ५

पश्चिमी चंपारण -
बिहार के तिरहुत प्रमंडल में बसल ई जिला मिथिला क्षेत्र में आबय ये एहिठाम भोजपुरी भाषा के खास पकड़ ये तखनो ई क्षेत्र मिथिला के कहाबै ये
। चंपारण जिला के अर्थ एकर नामे से पता चलि जाए ये चंपा-अरण्य = मने चंपा के पेड़ से घिरल जंगल। एही जिला के मुख्यालय बेतिया ये। बिहार के ई जिला अपन भोगोलिक विशेषता आ इतिहास के लेल खास प्रसिद्ध अछि। याह ओ जिला ये जतय से महत्मा गाँधी अपन सत्याग्रह शुरू कैलक रहे। एही जिला में महत्व यहो लेल बेसी ये कियाकि एही जिला के पाँच टा ब्लाक से अंतररास्ट्रीय सीमा खुलय ये।

इतिहास -

एही जिला के इतिहास बहुत पुरान अछि एही जिला के बाल्मीकि नगर में जगत जननी माँ सीता के शरणस्थली के रूप में देखल जाए ये जाही से ई पता लागय ये की ई जिला रामायण काल से अस्तित्व में छल। राजा जनक के समय में ई क्षेत्र तिरहुत प्रदेश के अंग रहे जे बाद में वैशाली के हिस्सा बनि गेल। आजातशत्रु के वैशाली जीतलाs के बाद एही पर मोर्य वंश, कण्व वंश, शुंग वंश, कुषाण वंश आ गुप्त वंश के राज रहल। ७५० से ११५५ तक चंपारण पर पाल वंश के राज रहल तकरा बाद एही जिला राजा नरसिंहदेव के हाथ में चलि गेल। तकर किछु दिन बाद ई जिला बंगाल के गयासुद्दीन, फेर गज सिंह, धुरुम सिंह आदि आदि राजा एही पर राज्य करलक। एकर अंतिम राजा हरेन्द्र सिंह के कोनो पुत्र नै होए के कारण जिला के व्यवस्था नाय्यिक सरक्षण में चलि गेल। जे आय धैर चलल आबि रहल ये। अंग्रेज के समय में १८६६ में चंपारण के स्वतंत्र इकाई बना देलक, आ बाद में प्रशासनिक सुविधा के लेल एकरा १९७२ में एकरा बांटी के पूर्वी चंपारण आ पश्चिमी चंपारण कए देल गेल।

भूगोल -

एही जिला के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में गोपालगंज, पूरब में पुर्विचामरण आ पश्चिम में उत्तरप्रदेश के दू टा जिला पडरौना आ देवरिया से जुडैत छैक जिला के क्षेत्रफल ५२२८वर्ग किलोमीटर अछि जे बिहार के सब जिला में सबसे पैघ जिला अछिएही जिला के पाँच टा ब्लाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सेहो जुड़य ये, जाही में बगहा-१, बगहा-२, गौनहा, मैनाटांड, रामनगर, आ सिकटा प्रखंड अछि जेकर करीब ३५ किलोमीटर तक उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक नेपाल के साथ सटल ये। एतोका जलवायु आन जिला के मुकाबला में कनिकटा शीतल ये कियाकि एहिठाम हिमालय से एतय सीधा हवा आबय ये। औसत तापमान ४२डीग्री सेल्सियस ये आ औसत वर्षा १४० मिलीमीटर ये

जनसँख्या आ शिक्षा - 
२००१ के जनसँख्या के अनुसार एही जिला के कुल आबादी 
३०,४३,४६६ अछि, जाही में पुरुष के जनसँख्या १६००८३९ आ महिला के जनसंख्या १४४२६२७ ये। जिला में जनसँख्या के प्रतिशत ३९.६३% अछि

प्रशासनिक विभाग -
एही जिला में तीन टा अनुमंडल, १८ टा प्रखंड, ३१५ टा पंचायत आ १४८३ टा गाँव छल
अनुमंडल - बेतिया, बगहा, आ नरकटियागंज
प्रखंड - गौनहा, चनपटिया, जोगापट्टी, ठकराहा, नरकटियागंज, नौतन, पिपरासी, बगहा-१, बगहा-२, बेतिया, बैरिया, भितहा, मधुबनी, मझौलिया, मैनाटांड, रामनगर, लौरिया,आ सिकटा
प्रमुख नदी- सदावाही गंडक, सिकरहना एवं मसान एहिठाम के प्रमुख नहीं छल एकर अलावा पंचानद, मनोर, भापसा, कपन आदि एतोका बरसाती नदी छल

पर्यटन स्थल -

बाल्मिकीनगर राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभ्यारण्य - लगभग ८८० वर्ग किलोमीटर में पसरल ई क्षेत्र बिहार के एकमात्र राष्ट्रया उधान छल से नेपाल के राजकीय चितवन नेशनल पार्क से सटल अछि। बेतिया से ८० किलोमीटर दूर बल्मिकिनगर के ई राष्ट्रीय उधान के भीतर ३३५ वर्गकिलोमीटर के हिस्सा में १९९० में देश के १८वा बाघ अभ्यारण बनायल गेल रहेहिरण, चीतल, साँभर, तेंदुआ, नीलगाय, जंगली बिल्ली जेहन जंगली पशु के अलावा एकसिंगी गैडा आऔ‍र जंगली भैंसा भी एही उधान में देखल जाए सकय रहे

बाल्मिकीनगर आश्रम और गंडक परियोजना - बाल्मीकि उधान के एकटा छोड़ पर बसल ई आश्रम के महर्षि बाल्मीकि के आश्रम कहल जाय ये। कहल जाय ये की भगवान राम जखन माँ सीता के त्याग केलखिन रहे ते माता सीता एही आश्रम के शरण लेलक रहे। एहिठाम सीता अपन दू टा बेटा 'लव' आ 'कुश' के जन्म देलखिन रहे। याह ओ पावन जगह ये जाहिठाम महर्षि बाल्मीकि हिन्दू के महाकाव्य रामायण के रचना कैलक रहे। आश्रम से सटल बिहार के बहुद्देशीय परियोजना गंडक नदी के बांध सेहो ये जतेs बिहार के लेल १५ मेगावाट के बिजली उत्पादन होए ये। एता से निकालल गेल नाहर से चंपारण आ उत्तर-प्रदेश के कैकटा जिला में सिंचाई होए ये। एतोका दृश्य बाद मनमोहक छल, बांध के से गिरैत पानि के कल-कल आवाज बहुत मधुर आ सुखद लागय ये। एहिठाम बेतिया राजा के बनायल शिव-पारवती के मंदिर सेहो देखे बला ये।

त्रिवेणी संगम - बाल्मिकी नगर से पाँच किलोमीटर दूर एक तरफ नेपाल के त्रिवेणी गाम आ दोसर तरफ चंपारण के भैंसालोटन गाम के बीच ई संगम के त्रिवेणी संगम के नाम से जानल जाय ये। एहिठाम गंडक के साथ सोहना आ पंचानंद नदी के मिलन होए ये। श्रीमदभागवतपुराण के अनुसार एहिठाम भगवान विष्णु के प्रिय भक्त 'गज' आ 'ग्राह' के लड़ाई शुरू भेल रहे जकर अंत हाजीपुर के कोनाहरा घाट पर भेल रहे। हरिहर क्षेत्र के जेना ही एता हरेक साल माघ के संक्रांति के दिन बड़ा जबरदस्त मेला लगय ये जेकर भव्यता देखे बला होए ये।

बावनगढी - त्रिवेणी संगम से ८ किलोमीटर दूर बगहा प्रखंड के दरवाबारी गाँव के पास ई गाँव बसल ये जते बावनगढ़ी किला के खँडहर मौजूद छल। जेनाकी नाम से पता लागय ये एही किला में ५२ टा महल रहे। ई जगह तिरपन बाज़ार के नाम से सेहो जानल जाय ये। ई गाँव बावन टा महल आ तिरपन टा बाज़ार के अनोखा समूह छल मुदा सरकार के उदासीनता आ पुरात्तव विभाग के लचर व्यवस्था के कारण एही महल के इतिहास अखनो दबल ये।

भिखना ठोढी - जिला के उत्तर में गौनहा प्रखंड में बसल भिखना टोढी नरकटियागंज-भिखना टोढी रेलखंड के अंतिम स्टेशन अछि। नेपाल के सीमा पर बसल ई छोट सनक जगह अपन प्राकृतिक सुन्दरता के लेल प्रसिद्ध अछि। जाड़ के महिना में एहिठाम हिमालय के उज्जर-उज्जर छोटी आ अन्नपूर्ण श्रेणी साफ़ नज़र आबय ये। एतोका शांत वातावरण के मज़ा इंगलैंड के राजा जार्ज पंचम सेहो लेलक रहे। एहिठाम ब्रिटिश काल के पुरनका बंगला आ ठहरे के जगह कैकटा जगह अछि। अगर एक शब्द में एही जगह के वर्णन करी ते अहाँ कही सकय छि जे ई जगह मिथिला के कश्मीर अछि।

भितहरवा आश्रम - 
गौनहा प्रखंड के भितहरवा गाम में एकटा छोट सनक घर से महात्मा गाँधी अपना चंपारण सत्यागढ़ के शुरवात कैलक रहे। याह घर के आय भीतहरवा आश्रम कहाबै ये। गाँधी के आ स्वतंत्रता के आदर करय बला के लेल ई घर कोनो काशी-काबा से कम नै ये।

रामपुरवा का स्तंभ  - भीतहरवा आश्रम से कनिकटा दूर रामपुरवा गाम में सम्राट अशोक के बनायल दू टा स्तम्भ ये। दुनु टा स्तम्भ शीर्षरहित अछि। ई स्तम्भ के उपरका सिंह बला हिस्सा कलकत्ता के संग्रहालय में आ वृषभ(सांढ) बला हिस्सा के दिल्ली के संग्रहालय में राखाल गेल ये।

अशोक स्तंभ - नंदनगढ़ के एक किलोमीटर दूर लौरिया प्रखंड में २३०० वर्ष पुरान सिंह के मुंह बला एकटा स्तम्भ अछि जेकरा अशोक स्तम्भ कहल जाय ये। ३५ फीट ऊँचा ई स्तम्भ के आधार ३५ फीट आ कपाड़ २२ इंच अछि। ई विशाल स्तम्भ मौर्या काल के मुर्तिकाल के शानदार कलाकारी के नमूना अछि। एकर बेहतरीन कलाकृति आ जबरदस्त पोलिस एकर सुन्दरता में चार चाँद लगा रहल ये। २३०० साल भेला के बाद भी एही स्तम्भ में अखनो धैर जुंग नै लागल ये जे ई साबित करय ये की प्राचीन काल के कला के पारखी आ कलाकार के तुलना आय नै कराल जाय सकय ये।

सुमेश्वर का किला -  रामनगर प्रखंड में समुन्द्र ताल से २,८८४ फीट के ऊंचाई पर बसल सुमेश्वर के पहाड़ पर खड़ा ढलान पर बनल सुमेश्वर के किला आब खंडहर बनि चुकल ये। नेपाल के सीमा पर बनल ई किला आब खंडहर में ते जरुर बदैल गेल ये मुदा अन्तेपुरवाशी के पानि के जरुँरत के लेल पत्थर के काटि के बनायल कुण्ड के अखनो देखल जाय सकय ये। एता से हिमालय के पर्वत श्रेणी के मनमोहक आ विहंगम दृश्य अहाँ देख सकय छी। एता से हिमालय के प्रसिद्ध धौलागिरि, गोसाईंनाथ एवं गौरीशंकर के धवल शिखर के साफ़ देखल जाय सकय ये।

वृंदावन - बेतिया से १० किलोमीटर दूर ई जगह पर १९३७ में ऑल इंडिया गाँधी सेवा संघ का वार्षिक सम्मेलन भेल रहे। जाही में गाँधी जी सहित राजेंद्र प्रसाद आऔर जे.बी. कृपलानी सेहो हिस्सा लेलक रहे। गांधीजी के शिक्षा पर आधारित एता एकटा बेसिक स्कूल सेहो चल रहल ये।

सरैयां मान (पक्षी विहार) - बेतिया से ६ किलोमीटर दूर सरैयाँ के शांत परिवेश में एता एकटा प्राकृतिक झील बसल ये जे कैकटा प्रवासी पक्षी के प्रवाश जगह अछि। झील के कात में कैकटा जामुन के गाछ लागल ये, कहल जाय ये की जामुन के फल ई झील में खूब गिरय ये जाही से एकर पानि में खूब बेसी पाचक क्षमता ये। ई जगह एतोका स्थानीय लोग के लेल पिकनिक के जगह सेहो अछि।

नंदनगढ़ और चानकीगढ़ - लौरिया प्रखंड के नंदनगढ़ आ नरकटियागंज प्रखंड के चानकीगढ़ अपना आप में प्राकृतिक सुन्दरता के एकटा अद्भुत उदहारण अछि। एहिठाम नन्द वंश आ चाणक्य के बनायल महल के अवशेष सेहो अछि जे आब टीला जोंक देखाए पड़य ये। एहिठाम बुद्ध के भी बहुत साक्ष्य देखे ले भेट जाएत। एता तक की नंदनगढ़ के टीला का भगवान् बुद्ध के अस्थि अवशेष पर बनल स्तूप सेहो कहल जाए ये।




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