एकटा गाम में एकटा बूढी माता रहैत छलीह जे असगर छलीह। एक दिन गाम मे एकटा बहुत पैघ महात्मा पहुंचलाह। बूढ़ी माता हुनकर खूब स्वागत सत्कार केलखिंह। महात्मा जी जखन जाए लगलाह तऽ बूढी माता कहैत छथिन्ह जे महात्मा जी। अहाँ तऽ भगवान के बहुत पैघ भक्त छी। हमरा आशीर्वाद दियअ जे हम जे असगर रहैत छी से कियो हमरा संग रहवाक लेल भेट जाए कारण हम असगर रहैत रहैत परेशान भऽ गेलहुँ अछि। महात्मा जी हँसि कऽ अपन झोरा में सँ एकटा भगवानक मूर्ति निकाललन्हि आ बूढी माय के दैत कहलखिन्ह जे ई लियअ। ई आइ सँ अहाँ के बेटा छी। एकरा अपन बेटा जकाँ पालन पोषण करू। बूढी माय ओहि मूर्ति के खूब लार दुलार सँ पोषय लगलीह। एक दिन गामक किछु उकठ्ठी धिया पूता सभ एकटा मूर्ति के लार दुलार करैत देखि कऽ बूढी माता के खिझैवाक लेल बूढ़ी माता सँ कहलकै जे आइ गाम मे जंगल सँ एकटा भेड़िया घुसि गेलै अछि जे छोट छोट बच्चा के उठा कऽ लऽ जाइत छैक आ ओकरा मारि कऽ खा जाइत छैक। अहूँ अपन बच्चा पर ध्यान देबै नहिं तऽ ओकरो भेड़िया उठा कऽ लऽ जाएत। बूढ़ी माय साकांच भऽ गेलीह। अपन बच्चा के बचएबाक लेल भूखले पियासल भरि भरि राति डंडा लऽ कऽ पहरा देवय लगलीह। पाँच दिन आ पाँच राति बिना किछु खेने पीने आ बिना सूतने अपन बच्चाक रक्षा करवाक लेल द्वार पर डँटल छलीह। ओहि भोली भाली बुढ़िया के भाव देखि भगवानक हृदय प्रेम आ स्नेह सँ भरि गेलैन्ह। भगवान प्रकट रूप में बूढी माताक स्नेह प्राप्त करवाक लेल सुन्दर रूप धारण कऽ कऽ वस्त्र आ आभूषण सँ सुसज्जित भऽ कऽ उपस्थित भऽ गेलाह। भगवान के पेएर के आहट पावि बूढी माता भेड़िया बूझि लाठी लऽ कऽ दौड़लीह। भगवान कहलखिन्ह जे माय। हम तऽ अहाँक बौआ छी जकर अहाँ रक्षा करवाक लेल ठाढ छी। बूढी के विश्वास नहि होइत छैन्ह। तखन भगवान कहैत छथिन्ह जे हम त्रिलोकनाथ भगवान छी। वरदान माँगू। हम अहाँक भक्ति सँ बहुत प्रसन्न छी। बूढ़ी माता के तखन एकाएक ध्यान खूजैत छैन्ह आ ओ भगवान के पेएर पर खसैत वरदान मँगैत छैथि जे हे भगवान ।हमर बच्चा के भेड़िया सँ बचा दियअ। भगवान आओर बेसी प्रसन्न भऽ जाइत छैथि आ कहैत छथिन्ह जे मैया। अहाँ हमरा संगे चलू। हम अहाँ के अप्पन धाम लऽ चलैत छी आ भेड़िया सँ डरवाक कोनो आवश्यकता नहिं छैक आ तखन बूढी माता के भगवान अपना संग लऽ जाइत छथिन्ह। एहि प्रकार सँ भगवान के प्राप्त करवाक लेल सभ सँ आसान तरीका छैक जे भगवान सँ बिना कोनो छल कपट के प्रेम करू जेना बूढी माता करैत छलीह। हमरा सभकें अप्पन भीतर में बैसल भगवान के अंश के काम, क्रोध लोभ मोह आ अहंकार रूपी भेड़िया सँ रक्षा करवाक चाही जाहि सँ एक न एक दिन भगवान अवश्य दर्शन देताह कारण भक्त पर कृपा केनाइ भगवान केर स्वभाव होइत छैन्ह। जय सियाराम । जय बजरंगबली
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