ललित बाबू के पुण्यतिथि पर विशेष - KIRTI NARAYAN JHA
मिथिलाक विकास पुरुष स्वर्गीय ललित बाबू द्वारा आरंभ कयल गेल मिथिला आई धरि विकास केर रस्ता कें टकटकी लगौने ताकि रहल अछि ओहि भागीरथ के जे मिथिलांचलक विकास के लेल सहायक होइतेऽ! राजनैतिक आहे माहे सँ दूर कोनो पिछङल क्षेत्र के आगू बढ़यबाक बास्ते जँ कियो प्रयास करैत छैथि भले ओ कोनो राजनैतिक पार्टी कए प्रतिनिधि होइथ सभ सँ पहिने ओ सामाजिक उत्थानकर्ता मानल जएताह। एकर जीवन्त उदाहरण छलाह पूर्व रेल मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र।जिनकर एकटा नारा प्रसिद्ध छल जे "हम रहि अथवा नहिं रही बिहार बढि क रहत" नहि जानि केकर नजैर लागि गेलैक जे बिहार आ मिथिला आइयो बाट जोहि रहल अछि ओहि विकास पुरुष केँ। आई कमला कोशी केर भयानक विभीषिका मिथिला वासी नहिं झेलैत रहैत। आई मिथिला पेंटिंग के बारे में जँ कियो चर्चा क रहल छैथि त ओहि मे ललित बाबू केर नाम श्रद्धा केर संग लेल जाइत अछि। झंझारपुर आ नेपाल के बीच अवस्थित वज्र देहात के रेलवे सँ जोङि कय देश के समक्ष ओहि गामक प्रतिनिधि के प्रतिनिधित्व दियावै में हिनक अद्भुत प्रयास छल। हिनक द्वारा कयल गेल काज के जँ सूचि बनाबी त हमर आर्टिकल बहुत लम्बा भ जायत संगहि हमरा विश्वास अछि जे हमरा सभ में सँ अधिकांश लोक हुनका द्वारा कयल गेल काज सँ पूर्णतया अवगत हेताह । ई बात सत्य अछि जे किछु गोटे, हुनक विकास कार्य सँ सहमत नहिं हेताह मुदा अधिकतर मिथिला वासी हमरा हिसाबे ओहि विकासोन्मुखी मिथिलाक परिकल्पना केर क्षण स्मरण कए किछु कालक लेल रोमांचित अवश्य भ जएताह। मिथिलाक ई अभाग कही अथवा किछु आओर एहि क्षेत्र केर उपेक्षा बिहार सरकार द्वारा कैल जाएत रहल अछि। ललित नारायण मिश्र केर जन्म ०२ फरवरी १९२२ बसंत पंचमी दिन हुनक मामा गाम कुमार वाजितपुर वैशाली जिला मे भेल रहैन। कोशी कए विनाश लीला केर कारण सँ हिनक पूर्वज बलुआ बाजार में आबि क बसि गेल छल। होनहार बिरवान के होत चिकने पात के चरित्रार्थ करैत छात्र जीवन में स्वतंत्रता आन्दोलन में कूदि गेल रहैथि आ कोशी बाबू के नाम सँ प्रसिद्ध भेल छलाह। अपन लोकप्रियता केर वदौलत जवाहरलाल नेहरू आ लाल बहादुर शास्त्री केर ई प्रिय पात्र भय गेलाह। श्रीमती इन्दिरा गाँधी हिनका पर बहुत बेसी विश्वास करैत छलीह। किछु आलोचक केर अनुसार हिनक लोकप्रियता सँ जरि कए हिनक हत्या में हुनक हाथ छलैन्ह। मुदा ई सभ हम मिथिला वासी केर आक्रोश केर कारण अछि आ हमरा लोकनि कें ओहि विषय में चर्चा नहिं करवाक अछि। एकहि वाक्य में जँ ललित बाबू के मिथिलांचलक एकमात्र विकास पुरुष कही त अतिशयोक्ति नहि होयत। जय मिथिला। जय मैथिली
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