मिथिलाक गीत
पग - पग पर हो मिथिलाक गीत ।
रमण मनोरथ प्रवल पुनीत ॥
मनक बात ब्रहाणी जानू ।
आँगक गति - बिधि शुभे बखानू ॥
दर - दर ठोकर खूबे खयलहूँ ।
रहलहुँ रगड़ति , बयस बितयलहुँ ॥
नीके लागल , कलम धेने छी ।
यतन गढ़ी - गढ़ी कवित केने छी ॥
मति - गति नियति , लेल सब हेरि ।
दल - दल जीवन , देल अवडेरि ॥
नगर - डगर नपिते दिन गेल ।
हामहि सब किछु , किछु नञि भेल ॥
कुमतिक काल - चक्र बौरायल ।
रहितहूँ सजग , सुदिन नञि आयल ॥
जीवन जीलहुँ , भेल नञि सुकारथ ।
बैह कार्य , जे अछि परमारथ ॥
______________
रचैता - रेवती रमण झा "रमण "
पग - पग पर हो मिथिलाक गीत ।
रमण मनोरथ प्रवल पुनीत ॥
मनक बात ब्रहाणी जानू ।
आँगक गति - बिधि शुभे बखानू ॥
दर - दर ठोकर खूबे खयलहूँ ।
रहलहुँ रगड़ति , बयस बितयलहुँ ॥
नीके लागल , कलम धेने छी ।
यतन गढ़ी - गढ़ी कवित केने छी ॥
मति - गति नियति , लेल सब हेरि ।
दल - दल जीवन , देल अवडेरि ॥
नगर - डगर नपिते दिन गेल ।
हामहि सब किछु , किछु नञि भेल ॥
कुमतिक काल - चक्र बौरायल ।
रहितहूँ सजग , सुदिन नञि आयल ॥
जीवन जीलहुँ , भेल नञि सुकारथ ।
बैह कार्य , जे अछि परमारथ ॥
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रचैता - रेवती रमण झा "रमण "
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