धनतेरस:--
जाहि तरहें देवी लक्ष्मी सागर मंथन सौं उत्पन्न भेल छलीह ओहि तरहें भगवान धनवन्तरि सेहो अमृत कलशक संग सागर मंथन सौं उत्पन्न भेल छलाह।
देवी लक्ष्मी हालांकि धनक देवी छथि। परन्तु हुनक कृपा प्राप्त करबाक हेतू स्वस्थ्य और दीर्घ आयु सेहो चाही।
अहि कारणे दीपावली सौं दू दिन पहिले यानी धनतेरसे सौं दीपामाला सजय लगैत अछि। कार्तिक कृष्ण पक्षक त्रयोदशी तिथि के दिन धन्वन्तरिक जन्म भेल छल ताहिकारणे अहि तिथि के धनतेरस के नाम सौं जानल जैत अछि।
धन्वन्तरी जखन प्रकट भेलाह तS हुनका हाथ में अमृत सौं भरल कलश छलनि। भगवान धन्वन्तरी चुकि कलश लय प्रकट भेल छलाह ताहि कारणे अहि अवसर पर बर्तन खरीदबाक परम्परा अछि। कतोहू कतोहू लोकमान्यताक अनुसार इहो कहल जैत अछि कि आजुक दिन धन (वस्तु) खरीदला सौं ओहिमे 13 गुणाक वृद्धि होइत छैक।
भगवान धन्वंतरीक सब प्रकारक रोग से मुक्ति दैत छथि। यैह कारण अछि जे धनतेरसे क दिन केहु प्रकारक की व्याधि से पीड़ित व्यक्तिक को धन्वंतरीक स्तोत्रक पूरी श्रद्धा से पाठ करबाक चाही।
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधिदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढ़दावाग्निलीलम॥
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