dahej mukt mithila

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मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

कंजूस मास्टर


एकटा मास्टर जी छला बड  कंजूस ,
हुनक कंजूसी स पत्नी रहै छली बड रुष्ट .
साबुन खर्च के डर स चिकनी माईट  स नहाई  छला ,
धोती   फटइ के डर स गमछे पहिर घुमैत छला .
हुनक कंजूसी स पूरा गाम छल परिचित ,
भिखमंगो हुनका स  माँगइ  में रहै छलै भयभीत .
एकटा  हुनकर खिस्सा  सुनैब ,
एहन कंजूस नै  कहियो देखने हैब .
एक बेर 100 के नोट  पत्नी के देलखिन ,
हर्षित भ पत्नी  खर्च  केलखिन .
हुनका की पता की ?
मास्टर जी ओ पैसा मंगथिन .
किछु दिन बाद ओ पत्नी स कहला,
देने रही पैसा से लाउ  त  कमला .
हुनक हल्ला के डर स कमला,
चूपे-चाप पईच ल क हुनका देलखिन ,
पईसा लईते मास्टर जोर स चिचेयेला ,
बाज  हरासंखनी  पइसा  कत खर्च केलै?
कमला अबाक !
की खर्चक  बात हिनका कोना पता ?
डीरियाइत मास्टर बजला ,
मुझौसी हम देने रहियौ 100 के नोट ,
2 ता पचास कोना भेलौ ?
तू हमरा की बुझइ  छै गदहा ?
कमला बस एतबे कहली ,
जा हउ  दैब एहन लिच्चर  तू कोन माईट  स बनेलअअ .....

रूचि गोस्वामी

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