एकटा मास्टर जी छला बड कंजूस ,
हुनक कंजूसी स पत्नी रहै छली बड रुष्ट .
साबुन खर्च के डर स चिकनी माईट स नहाई छला ,
धोती फटइ के डर स गमछे पहिर घुमैत छला .
हुनक कंजूसी स पूरा गाम छल परिचित ,
भिखमंगो हुनका स माँगइ में रहै छलै भयभीत .
एकटा हुनकर खिस्सा सुनैब ,
एहन कंजूस नै कहियो देखने हैब .
एक बेर 100 के नोट पत्नी के देलखिन ,
हर्षित भ पत्नी खर्च केलखिन .
हुनका की पता की ?
मास्टर जी ओ पैसा मंगथिन .
किछु दिन बाद ओ पत्नी स कहला,
देने रही पैसा से लाउ त कमला .
हुनक हल्ला के डर स कमला,
चूपे-चाप पईच ल क हुनका देलखिन ,
पईसा लईते मास्टर जोर स चिचेयेला ,
बाज हरासंखनी पइसा कत खर्च केलै?
कमला अबाक !
की खर्चक बात हिनका कोना पता ?
डीरियाइत मास्टर बजला ,
मुझौसी हम देने रहियौ 100 के नोट ,
2 ता पचास कोना भेलौ ?
तू हमरा की बुझइ छै गदहा ?
कमला बस एतबे कहली ,
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