गजल
इ धरती इ गगन रहतै जहिया तक
अप्पन प्रेम अमर रहतै तहिया तक
कहियो तं इ दुनिया बुझतै प्रेमक मोल
प्रेमक दुश्मन जग रहतै कहिया तक
बाँझ परती में खिलतै नव प्रेमक फुल
प्रेमक फुल सजल रहतै बगिया तक
कुहू कुहू कुहकतै कोयल चितवन में
जीवनक उत्कर्ष रहतै सिनेहिया तक
प्रीतम "प्रभात" संग नयन लडल मोर
भोर सं दुपहरिया साँझ सं रतिया तक
..........वर्ण-१६...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
इ धरती इ गगन रहतै जहिया तक
अप्पन प्रेम अमर रहतै तहिया तक
कहियो तं इ दुनिया बुझतै प्रेमक मोल
प्रेमक दुश्मन जग रहतै कहिया तक
बाँझ परती में खिलतै नव प्रेमक फुल
प्रेमक फुल सजल रहतै बगिया तक
कुहू कुहू कुहकतै कोयल चितवन में
जीवनक उत्कर्ष रहतै सिनेहिया तक
प्रीतम "प्रभात" संग नयन लडल मोर
भोर सं दुपहरिया साँझ सं रतिया तक
..........वर्ण-१६...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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