dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 9 नवंबर 2011

मैथिली गजल( ऑम प्रकाश झा )


 

मैथिली गजल
हमर हृदयक कुंज-गली मे विचरैत मोनक मीत अहीं छी।
गाबि-गाबि जे मोन सुनाबै सदिखन ओ राग अहीं गीत अहीं छी।
 जिनगी हमर पहिने कहियो एते सोअदगर किया नै छल,
सबटा सोआद अहीं मे छै बसल, मीठ, नोनगर, तीत अहीं छी।
आँखिक बाट मोन मे ढुकि केँ प्रेमक घर आलीशान बनेलियै,
ओहि घरक कण-कण मे छै नाम अहींक, ओकर भीत अहीं छी।
जुग-जुग सँ प्रेमक धार मे अहीं हमर पतवार बनल छी,
हमर प्रेमक दुनियाक सुन्नर रंग सबटा आ रीत अहीं छी।
"ओम"क मोन केर कोन-कोन मे बसल रहै छै अहींक सुरभि,

ऑम प्रकाश झा