dahej mukt mithila

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मंगलवार, 22 नवंबर 2011

------------------गजल---------------

चारिटा दोकान चाहक, हमर गामक चौक पर
भीड़ भरी मेल लोकक, हमर गामक चौक पर!

की मोहालीमे भेलै आ की श्रीलंकोमे भेलै
लोक डफा लए नाचैए, हमर गामक चौक पर!

हमर गामक लोक कें बुझल ने छै हालो अपन
टूटी गेलए इसकुल गामक, हमर गामक चौक पर !
हमर गामक लोक कें की भ' गलें, सोचै छि हम
खुजी गेलए दारुक भट्टी,
हमर गामक चौक पर!

चल गेल बसुदेवजी रामायणाक पद बाँची क'
आब महाभारत मचेए, हमर गामक चौक पर !

1 टिप्पणी:

मनोज कुमार ने कहा…

हमरो गामक चौक पर दारुक भट्टी खुजी गेल अछि। की हेतै आब, गाम गाम रहतै कि नै से भगवाने मालिक।