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रविवार, 6 फ़रवरी 2011

सपना देख्लौ बड अजगुत @प्रभात राय भट्ट


सपना देख्लौ बड अजगुत@प्रभात राय भट्ट


की कहिय राएत सपना देखलौं बड अजगुत हो भाई ,
हमरा पाछु लागल रहे एकटा बहुरुपिया कसाई,
धमकी देलक गल्ह्थी लगौलक देखौलक चाकू छुरा ,
जान स माएर देबौ,प्राण निकाइलदेबौ,नईतकर हमर माग पूरा ,
गाल हमर लाल कौलक खीच क मारलाक चटा चट चांटा ,
निकाल बाक्स पेटी स फटा फट दू चार लाख टाका,
डर स हम थर थर कापी मोन रहे घबराईल ,
तखने एकटा पहरा करैत प्रहरी हमरा लग चईल आईल ,
मोने मोन हम सोचलौ इ करता हमरा मदत ,
मुदा उहो रहे ओई चंडाल कसाई केर भगत ,
दुनु गोटा कान में कौलक फुस फूस ,
बाईन्ध क हमरा डोरी स घर में गेल घुईस ,
छन में सबटा भेल छनाक घर में परल डाका ,
झट पट जे आईंख खोल लौ ,त की कहिय काका ,
उ सपना नई सचे के बिपना रहे ,
हमर बिपति क एकटा घटना रहे ,
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

पिता :गंगेस्वर राय

माता :गायत्री देवी

ग्राम :-धिरापुर वार्ड न.

जनकपुरधाम( नेपाल )

3 टिप्‍पणियां:

mridula pradhan ने कहा…

badd nik lkhne chiyak.

MADAN KUMAR THAKUR ने कहा…

गाल हमर लाल कौलक खीच क मारलाक चटा चट चांटा ,
निकाल बाक्स पेटी स फटा फट दू चार लाख टाका,
bahut nik

dhanywad
prabhat ji

Prabhat punam ने कहा…

apan pratikriya delau tahi k lel bahut bahut dhanyabaad pradhan ji yebam madan ji,