अमेरिका की व्यापार शर्तों (ट्रेड डील) के सामने भारत क्यों नहीं झुकता?
यह एक बहुत ही खतरनाक खेल है। अगर हम झुक गए, तो देश खत्म हो गया समझो।
अमेरिकी दृष्टिकोण के पीछे नम्रता नहीं, बल्कि एक छिपी हुई गंदी राजनीति है।
एक ऐसा शर्तों भरा क्लॉज है, जिसे भारत ने छूने से भी इनकार कर दिया है।
ट्रंप रोज दबाव बनाते हैं, लेकिन भारत मजबूती से खड़ा है।
सब पूछते हैं, भारत अमेरिका की सभी शर्तों पर हस्ताक्षर क्यों नहीं करता?
तो चलिए, इस बात को विस्तार से समझते हैं...
साल 2030 तक भारत-अमेरिका के बीच व्यापार का लक्ष्य 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का सपना है।
अच्छा लगता है ना? लेकिन उस सपने के पीछे एक शर्त थी... *जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) बीज/फसलें।*
अमेरिका ने कहा – *साइन करो।*
भारत ने कहा – *नहीं, कभी नहीं।*
क्योंकि यह सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता का सवाल है।
GM बीज कोई साधारण बीज नहीं, यह तो एक सॉफ्टवेयर है।
पेटेंट वाला सॉफ्टवेयर... एक बार बोओ, तो हमेशा पैसे देते रहो।
फिर आपकी फसल आपकी नहीं रहती, वह *बीज के मालिक* की हो जाती है।
वह बीज का मालिक कौन है, जानते हैं? *Monsanto Ltd.*
हां, वही Monsanto कंपनी, जिसने Agent Orange बनाया था और अब उसका नया नाम है *Bayer Ltd.*
कंपनी का नाम बदला, लेकिन जहर वही है।
1960 के दशक में, अमेरिका पूरी दुनिया को गेहूं सप्लाई करता था।
लेकिन अब क्या देता है?
• GM मक्का
• GM सोया
• GM कैनोला
• GM कपास
ये सब *“राउंडअप रेडी”* फसलें हैं।
GM से खरपतवार मर जाते हैं, लेकिन फसल जिंदा रहती है! क्योंकि वह केमिकल रेसिस्टेंट होती है।
अमेरिका में आज 95% मक्का GM है। सोया का भी यही हाल है।
और यह सब कहां जाता है? सीधे लोगों के भोजन में।
1990 के बाद से अमेरिका में...
o मोटापा दोगुना हो गया,
o किशोरों में डायबिटीज तेजी से बढ़ा,
o बांझपन,
o डिप्रेशन,
o कैंसर,
o हृदय रोग, लिवर की बीमारियां।
*यह सब "संयोग" है या "अंजाम"?*
और इनका "इलाज" क्या है?
*दवाइयां:*
o स्टैटिन्स
o मेटफॉर्मिन
o एंटी-डिप्रेसेन्ट्स
o ओजेम्पिक
*यह इलाज नहीं — सब्सक्रिप्शन है!*
आप जियो, लेकिन हमेशा दवाइयों पर निर्भर रहो।
*Big Food आपको बीमार करता है।*
*Big Pharma आपको जिंदा रखता है।*
*Big Insurance आपको सब कुछ चुकवाता है।*
और आपको जानकर हैरानी होगी कि…
इन तीनों के मुख्य शेयरधारक कौन हैं?
• Vanguard
• BlackRock
• State Street
और वही लोग निवेश करते हैं...
• खाने में
• दवाइयों में
• न्यूज नैरेटिव में
इसलिए भारत ने *साफ मना कर दिया* और फिर क्या हुआ?
*ट्रंप के ट्वीट्स:*
• पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध दिखाना
• पश्चिमी मीडिया का भारत विरोधी रुख
*विपक्ष की आवाज:*
• मोदी सरकार असफल रही
लेकिन कोई यह नहीं कहता कि... *क्यों?*
*क्योंकि यह “ट्रेड डील” नहीं, भारत को बीमार बनाने की योजना है।*
अगर भारत अमेरिका की इस "ट्रेड डील" पर साइन करता है, तो क्या खोएगा?
• हमारे किसान
• हमारे बीज
• हमारी मिट्टी का स्वाभिमान
• हमारा भविष्य
ये खलनायक कौन हैं?
*कृषि क्षेत्र में:*
• Bayer (Monsanto)
• ADM
• Cargill
*खाद्य क्षेत्र में:*
• Nestlé
• PepsiCo
• Kraft
*फार्मा क्षेत्र में:*
• Pfizer
• Johnson & Johnson
• Merck
*बीमा क्षेत्र में:*
• United Health
और इन सबके पीछे कौन है?
वही महंगे निवेशक,
वही डॉलर!
वही खतरनाक योजना।
अगली बार जब कोई पूछे:
अमेरिका की शर्तें मान लेने में क्या हर्ज है?
तो उन्हें कहो:
आप अपने घर के बच्चों को खिलाओगे, या उनकी फैक्ट्रियों को?
यह एंटी-अमेरिका नहीं है, यह है:
• मिट्टी के पक्ष में
• सत्य के पक्ष में
• भविष्य के पक्ष में
और अगर किसी को लगता है कि *भारत सिर उठा रहा है*, तो लगने दो
क्योंकि अगर हम उनकी शर्तों पर साइन कर लेंगे, तो सिर्फ एक करार नहीं खोएंगे... बल्कि अपने पैरों तले की जमीन खो देंगे।
यह लेख पढ़कर सभी को समझना चाहिए कि अमेरिका की दादागिरी के खिलाफ पूरी दुनिया में सिर्फ *एक ही आदमी* लड़ रहा है और उसे सपोर्ट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। 🙏
यह लेख वाकई आंखें खोल देने वाला है और जिसकी आंखें खुल गई हों, वह एक बार जरूर शेयर करे। 🙏जय माताजी की!🚩🚩
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