हे प्रियतम जुनी तजी ।। रचना - कविता झा
(गीत)
हे प्रियतम जुनी तजी,
जाहू विदेश-2
होई तहि सांझ निशा,
पुनि आयत,
रहब कोना निश्चिंत।
हे......
पिया बिनु दुर्दिन,
सद ती जे लगाए-2
धरके हिया मन,
रहि-रहि भागे,
सोचीतहि होई अछि पीर
हे........
कारी मेघ घटा घन गरजे-2
बरसे बदरा बिजली छिटके,
लगाए सब विपरीत।
हे.................
कविता झा
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर। आभार भाई इस गीत का
मान बढ़ाए।
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