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शनिवार, 21 मार्च 2020

कह कन्हैया की करैत छी।। रचनाकार - कन्हैया आशुतोष




की कुशल मंगल,कोना रहैत छी
कह कन्हैया की करैत छी।
पुछैत छथिन सब हमरा सs,
कुन कारण, व्यस्त रहैत छी।।

बिसैर गेलs  गाम के रस्ता
खोजे  रहल यै बच्चा बच्चा,
काका-काकी सब बाट तके  यै ,
कहिया आएत हमर लुच्चा।।
कहिया आएत हमर लुच्चा।।

आखिर कियै............

नै किछु सनेस चाही
नै तोहर एको टक्का,
एक बेर आबs गाम बेटा
प्रेम सs कैहs दै कक्का।।
प्रेम सs कैहs दै कक्का।।

हम सब तs भाब के भूखल,
चाही स्नेह के सिक्का,
जतेक प्रेम से कोरा खेलेलौं
जुराबिहs हमरो करेजा।
जुराबिहs हमरो करेजा।।

कुनु भरोस नै ई जिनगी के
की हेतs कहिया,
रैह जेतs ठामे सब किछ
हम नै रहबs तहिया,
 हम नै रहबs तहिया।।

पैढ़ लिख विद्वान बनलs
खूब कमाबs रुपैया,
आसिष ,हमर सब के
बनियs बाबु भईया।।
बनियs बाबु भईया।।

माय- काकी, बाप-काका में
कुनु फरक नै बुझिहs,
बुढ बुजुर्ग के सेवा करिहs
दनदनाबैत रहियs।
दनदनाबैत रहियs।।

दुइ पल हमरो भेंट होहिय
गाम एबह तू जहिया,
जे सबहक सम्मान करे
ओकर नाम कन्हैया।
ओकर नाम कन्हैया।।

*केहेन लागल जरूर लिखब।*
      *अहाँ के स्नेहाशीष*
             *कन्हैया*

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