dahej mukt mithila

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मंगलवार, 7 जनवरी 2020

हे हंस वाहिनी माँ शारदे ।। गीतकार - निशान्त झा "रमण"



         !! हे हंस वाहिनी माँ शारदे !!


       
        हे हंस वाहिनी श्वेत वर्णी माँ शारदे
        कर कृपा माँ ज्ञान का अधिकार दे ।
        हे हंस वाहिनी श्वेत वर्णी माँ शारदे ।।

        बहती तुमसे ही स्वर काव्य की धारा
        उठती तुमसे ही गीतों की झनकार माँ ।
        हे शारदे संगीत तुमसे हर शब्द तुमसे
        तुम ही साधक साधना का आधार माँ ।।

        हे वीणा धारिणी कमल आसन भारती
        अज्ञानता पर डाल दृष्टि माँ मुझे प्यार दे ।
        हे हंस वाहिनी........2

        अलंकृत छवि मुख शारदे तेज विराजे
        हाथ मे पुस्तक शोभित सिर मुकुट साजे ।
        कितने मूर्ख अधम पर तुमने कृपा बरसाई
        क्यों फेरा मुख तुमने जब मेरी बारी आई ।।

        ह  दास अब शरण , चरण में जा लिपटा
        अज्ञानता के अन्धकार से अब माँ तार दे ।।
        हे हंस वाहिनी.......2

        गीतकार-
        निशान्त झा "रमण"


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