dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

शनिवार, 9 सितंबर 2017

हनुमान जी के गीत

हनुमान जी के गीत 
मैथिलि हनुमान चालीसा से 



सुनलउ    सब   पर    ध्यान    धरैछी 
यौ  कपि , हमर ने सुधि  अहाँ  लेलो  | 
क्रन्दन     करि -  करि  केसरी  नंदन 
 निसदिन      नोर      नहय      लऊ ||  
                   सुनलउ - --यौ  कपि--
करुणाकर     कपि   दया  के  सागर 
सबहक़        मुहें        सुनै       छी  | 
नयन   निहारैत    वयस  बीत  गेल 
किऐ    नञि    अहाँ   जनै     छी   || 
सबहक  काज  दौडि   कय   कयलहुँ 
हमर       बिसरि     किय      गेलौ  
               सुनलउ - -- यौ  कपि--
केहन   कठोर   बनल   बैसल   छी 
बुझि      कउ      सब      अंजान  | 
की  हम  दास  अहाँ   के  नञि  छी 
  अतबे          कहु         हनुमान   ||    
पवन       पूत  , हे   गुण   निधान 
हम     कते      निहोरा    कयलौं  
            सुनलउ - --  यौ  कपि--
शंकर   सुवन हे   गगन   विहारी  
फांदि       गेलौ    अहाँ      लंका | 
विद्यासागर  ,  बुधि   के   आगर 
  सभतरि      बाजल            डंका || 
"रमण " व्याथा चित  उझलि देलऊ 
अहाँ     तैयो    नञि      पतिएलो  || 
 सुनलउ - -- यौ  कपि--
रचित -
रेवती रमण झा "रमण "

कोई टिप्पणी नहीं: