(हनुमंत पचीसी अहि लिंक से पढू आ सुनू )
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हनुमान जी के आरती
बजरंगबली के आरती
आइ उतारू ध्यान सँ |
नञि बुझलक दुख हमर कियो
जे , आइ कहब हनुमान सँ ||
बजरंगबली के -- नञि बुझलक --
टरल बिकट वर - वर पथ -कंटक
दया दृष्टि जेहि देलों यों |
रघुनन्दन दुख भंजन के दुख
काज सुगम सँ कयलौ यौ ||
जा पताल अहिरावण मारल
बज्र गदा के वान सँ -
बजरंगबली के -- नञि बुझलक --
लखनक प्राणे , पलटि आनि कय
राम हीया हुलसइलौ यौ |
कालक गाले जनक नंदनी
लंका जाय छोरयलौं यौ ||
जहिना बीसभुज के निपटयलों
अपनेही बुधि बल ज्ञान सँ ||
बजरंगबली के -- नञि बुझलक --
ज्ञान ध्यान रहि , मृत जीवन सन
संत विभीषन छल नरक तल में |
लंका के ओ राजा बनि गेल
अहाँक दया सं एक पल में ||
"रमणक " काज सुतारु ओहिना
अपन कृपा वरदान सँ ||
बजरंगबली के -- नञि बुझलक --
रचित -
रेवती रमण झा "रमण "
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