दहेज मुक्त मिथिला - नेपाल तथा भारत मे संयुक्त रूप सँ कार्यरत मिथिला समाज मे दहेज प्रथाक विरोध मे अभियानरूप मे चलयवला संस्थाक अन्तर्राष्ट्रीय संयोजक प्रवीण नारायण चौधरी संग साक्षात्कारः
१. अपने सभक संस्था समाज सँ दहेज उन्मूलनक लेल कोन ढंग सँ काज कय रहल अछि?
उ. दहेज मुक्त मिथिला मूल रूप सँ सोसल मीडिया सँ आरम्भ भेल एकटा क्रान्ति थीक। एकर लक्ष्य छैक जे वर्तमान शिक्षित युवा पीढी केँ एहि प्रथाक दोष पर बेसी सँ बेसी चर्चा करबाक लेल उकसायल जाय - आर एकर नकारात्मक स्वरूप सँ दूरी बनेबाक लेल प्रेरित कैल जाय। हलांकि आब ई अभियान सोसल मीडिया सँ यथार्थ धरातलपर सेहो उतैर चुकल अछि ठाम-ठामपर। भारतक मुम्बई, दिल्ली, गुआहाटी, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, पटना, जमशेदपुर, बनारस, कानपूर, राँची सहित अनेको ठाम तथा नेपाल मे विराटनगर, राजविराज, लहान, जनकपुर, बीरगंज, काठमांडु, इनरुवा, भारदह आदि स्थान मे एहि अभियान सँ जुड़ल लोकसब जमीनपर सेहो एकरा उतारलैन अछि। मुख्य रूप सँ "माँगरूपी दहेज केर प्रतिकार" हेतु 'आत्मसंकल्प' लेब एहि अभियानक कार्यरूप होएछ। समाजक हरेक उमेर केर लोक सँ माँगरूपी दहेज नहि लेब नहि देब, न अपन धिया-पुता मे लेब या देब आ नहिये एहेन माँगिकय लेल गेल दहेज केर विवाहोत्सव मे सहभागी बनब - ई संकल्प लियाओल जाएछ। तहिना जे कियो बिना मांगरूपी दहेज केर विवाह करैथ हुनकर यशगान करब, समाज मे हुनकर इज्जत-प्रतिष्ठा बढेबाक लेल समारोहपूर्वक सम्मान देबाक काज सेहो दहेज मुक्त मिथिला द्वारा कैल जाएछ। एकर अतिरिक्त मैथिली भाषा व मिथिलाक धरोहर संरक्षणार्थ आम जागृति करैत अप्रत्यक्ष रूप सँ सेहो दहेज प्रथाक कूरीतिपर प्रकाश दैत पुनः आत्मसंकल्प लेबाक प्रेरणा देल जेबाक काज एहि संस्था-अभियान द्वारा कैल जाएछ।
२. दहेज केँ कोन ढंग सँ परिभाषित करैत अछि?
उ. दहेजक परिभाषा विवाह पूर्व माँग करब, शर्त राखब, जबरदस्ती करब, बेटीवलाक आर्थिक क्षमता सँ बाहर जाय कोनो तरहक विध-व्यवहार पूरा करबाक धौंस देब, आदि केँ मानैत छी। ई सब बात एक्के टा 'माँग' जे वरपक्ष कन्यापक्षपर बलजोरी थोपैत अछि, तेकरे दहेज कहल जाएत छैक। संवैधानिक भाषा मे सेहो दहेजक परिभाषा यैह छैक। बाकी स्वेच्छा सँ कन्यापक्ष अपन कन्याक विवाह लेल केहेन घर-वर करत आर ताहि लेल कतेक खर्च करत, भले नगदे अपन जमाय-बेटी केँ कियैक नहि गानत, कतबो साँठ आ भार - उपहार आदि कियैक नहि साँठत, ई सब दहेज केर रूप मे हम सब नहि गानैत छी। तैँ, कियो टकाक बलपर बेमेल विवाह कराबय, ओतय बेटीवलाक सेहो दोख देखैत छी। लेकिन नीति सँ बान्हल जतय-कतहु स्वेच्छा सँ कोनो तरहक लेन-देन भेल अछि तेकरा हम सब दहेज एकदम नहि मानैत छी आर समाजक नीति-नियतिपर छोड़ि मात्र माँगरूपी दहेजक प्रतिकार लेल जनजागरण हमरा सभक अभियान अछि।
३. एहि संस्थाक सांगठनिक स्वरूप कि छैक?
उ. ओना तऽ आर संस्था जेकाँ ईहो भारत व नेपाल जतय-जतय मैथिल (मिथिलावासी) समाज रहैत अछि ओहि सब ठाम काज करबाक लेल दिल्ली आ राजविराज दुइ ठाम पंजीकृत रहैत कार्यकारिणी समितिक संग कार्यरत अछि, लेकिन सोसल मीडिया सँ जन्म भेल एहि संस्थाक संगठन सँ बेसी 'अभियान'रूप मे स्थापित होयबाक बात बेसी महत्वपूर्ण छैक। अहाँ कतहु रहू, दहेज मुक्त मिथिलाक अभियान संग जुड़िकय एकर नारा केँ अपनेबाक लेल समाजक हरेक वर्ग, जाति, धर्म, समुदायक लोक केँ प्रेरित कय सकैत छी। एहि वास्ते अहाँ स्वायत्तशासी संगठन अपन क्षेत्र लेल स्वयं गठन कय सकैत छी। सदस्यता बाँटि सकैत छी। समाज मे भऽ रहल दहेज मुक्त विवाह केँ सम्मान देबाक अछि। दहेजक माँग भेल शिकायत भेटलापर माँग कएनिहार पक्ष सँ वार्ता करैत आपस मे बुझारत करा सकैत छी। जरुरत पड़ल तऽ पीड़ित पक्ष लेल न्यायिक प्रक्रिया सेहो चला सकैत छी। लेकिन मुख्य रूप सँ माँगरूपी दहेज विरुद्ध आत्मसंकल्प लियेबाक काज करैत अपन समाजक लोक केँ एहि कूप्रथा सँ दूर करू, दहेज मुक्त मिथिलाक यैह टा आह्वान अछि। फिलहाल, पहिने कहल हरेक स्थान पर एकटा संयोजक, राष्ट्रीय स्तर पर एकटा कार्यकारिणी द्वारा संस्थाक समस्त सरोकार रेख-देख कैल जाएछ।
४. जाहि तरहें समाज मे दहेज कोढी समान खतरनाक चर्मरोग जेकाँ पसैर गेल छैक, तेहेन स्थिति मे एकर अन्तिम निदान संभव बुझा रहल अछि? जँ हँ त कोना?
उ. संसार मे कोनो प्रथा पहिने समाज केँ सही दिशा मे बढेबाक लेल आरम्भ होएत छैक। दहेज प्रथा सेहो बेटीधन प्रति पैतृक संपत्ति सँ प्राकृतिक हक देबाक जेकाँ विधान सँ व्यवहृत होएत देखाएत अछि। माय-बापक अर्जित संपत्ति सँ बेटीक हक केँ मूर्त-सम्पत्तिक रूप मे नहि दय ओकरा दहेजरूपी अमूर्त सम्पत्ति मे देबाक सोच पूर्व मे प्रारंभ कैल गेल जेना हम मानैत छी। शास्त्र सेहो स्त्रीधन केर चर्चा करैत अछि, हलाँकि ओ एतेक न्युन आर गुप्त होएत अछि जे आँटाक लोइया मे नुकाकय देल जेबाक विधान कहल गेल अछि आर एहि पर मात्र कन्याक अधिकार होयबाक बात सेहो उल्लेख अछि। लेकिन कालान्तर मे भौतिकतावादक बढैत असैर सँ आइ ई कोढी समान रोग जेकाँ पसैर गेल अछि। जे दहेज आशीर्वादक रूप मे केकरो बेटा केँ ओकर सासूर सँ भेटैत छलय, जेकरा लोक-समाज केँ हकारिकय देखेबाक चलन-चलती छलय, से आइ एहेन कुरूप अवस्था मे चलि गेल अछि जे कतेको बेटीक बाप केँ साकिम बना देलक, कतेको बेटी स्वयं दहेजक बेदीपर बलि चढा देल गेल, कतेको बेटीक जन्म सँ पहिनहि ओकर भ्रूणहत्या कय दैत अछि, जाहि नारीक नारित्व सँ मानव समाजक सृष्टि चलैत अछि तेकरे आइ एहि दुर्दशा मे राखल जा रहल अछि से हम सब देखि रहल छी। तखन एकर निदान सेहो क्रमशः संभव होएत हम देखि रहल छी। स्वेच्छाचारिताक विकास सँ मात्र ई कूप्रथाक अन्त हम देखि रहल छी। एहेन परिवार मे कथमपि कुटमैती नहि कैल जाय जतय माँगरूपी दहेजक व्यवहार लेल कन्यापक्षपर दबाव देल जाय। कन्यापक्ष केँ सेहो यदि अपन सम्पत्तिक दंभ सँ कोनो वर केँ पैसे-दहेजे बले बियैह देबाक मनसा देखी तऽ ओहेन कन्याक संग कदापि अपन बेटाक कुटमैती तय नहि करी। स्वयं शुद्ध रही, मात्र शुद्ध लोक संग कुटमैती तय करबाक मनोबल संग दुइ आत्मा केँ परिणय सूत्र मे बन्हबाक कठोर संकल्प लेब आवश्यक अछि। दहेज लोभी केँ वा दहेज दंभी केँ दरबज्जा पर प्रवेश तक निषेध करब आवश्यक अछि। स्वेच्छा सँ न्युनतम खर्च मे बिना कोनो बाह्याडंबर विवाह करबाक प्रचलन केँ प्रवर्धन सँ एहि कूप्रथाक अन्त होयत। समाज मे दहेज लेनिहारक प्रशंसा त कोनो हाल मे नहि हो, ओकरा जतेक दूसल-फटकारल जाय ओतेक कम हो, तखनहि लोक केँ एहि कूप्रथा सँ मोहभंग होयत।
दहेज मुक्त मिथिला हरेक समाज सँ अपील करैत अछि जे बेसी किछु नहि, मात्र एकटा निगरानी समिति बनाबी आर अपन समाज मे भऽ रहल कुटमैतीक तथ्यांक राखी। दहेज मुक्त विवाह कएनिहार केँ सार्वजनिक सभा द्वारा यशगान करी, सम्मान प्रदान करी। एकर सकारात्मक प्रभाव दूरगामी अछि आर कूप्रथा सँ निजात दियाबयवला अछि।
५. नवतुरिया मे दहेजक लेन-देन प्रति केहेन मानसिकता देखैत छियैक?
उ. नवतुरिया मे दहेज प्रतिष्ठाक विषय नहि बनि एकटा कूप्रथाक रूप मे प्रचलित भऽ रहल अछि, ई उत्साहवर्धक अछि। दहेज मुक्त मिथिालक लक्ष्य मे सेहो मात्र नवतुरिया सँ बेसी चर्चा चलेबाक आर संकल्प लियेबाक मूल बात निहित अछि। आइ बेटा आ बेटी केँ लोक समान रूप सँ शिक्षा दय रहलैक अछि। तथापि किछु एहेन वर्ग-समुदाय एखनहु छैक जे बेटी केँ मात्र घरायसी काजक वस्तु बुझि ओकरा शिक्षा सँ वंचित रखैत छैक। ओहि ठाम समस्या एखनहु विकराल छैक।
६. दहेज कूप्रथा उन्मुलन हेतु समाजक अगुआ सब केँ कोन ढंग सँ आगाँ एबाक आवश्यकता छैक?
उ. समाज सब सँ पहिने दहेजक प्रदर्शन देखब बन्द करय। दहेज मे आयल साँठ आ उपहार सब नितान्त व्यक्तिगत थिकैक से बुझि ओहि मे अपना लेल आनन्द आ भोज-भातक लोभ सँ दूर करय। बरियातीक आमंत्रण भेटलोपर कन्यापक्षक बाध्यता आ सीमितता केँ कदर करय। खस्सी केँ जान जाय आ खबैया केँ स्वादे नहि - ई कहबी अनुरूप अपन मानवता केँ बेइज्जती अपने सँ नहि करय।
समाजक अगुआ केँ टोल-समिति आ गाम-समिति केर तर्ज पर वैवाहिक सम्बन्ध कायम होयबाक निगरानी समिति बनेनाय अत्यन्त आवश्यक अछि। समाज जँ चाहत तऽ ओ अपना केँ दहेज मुक्त कय सकैत अछि। पहिने सेहो जे समाजक बात केर अवहेलना करय ओकरा समाज बारि दैत छलय। समाजक दंड विधान सब तरहक मानवीय अपराध केँ अन्त करबाक सर्वसुलभ उपाय होएछ। ई बात समाजक अगुआ बुझय। आइ ई कूप्रथा मात्र आ मात्र समाज केर उल्टा दिशा मे नियम चलेबाक दुष्परिणाम थीक, आर एहि गलती केँ सुधार करय लेल समाजहि केँ आगू आबय पड़त।
७. संस्थाक उद्देश्य प्राप्ति तथा आरो व्यापक बनेबाक लेल आगामी कार्ययोजना कि सब अछि?
उ. युग अनुरूप अपन व्यक्तिगत आवश्यकताक पूर्ति करबाक प्राथमिकता केँ ध्यान दैत बचल समय मात्र हम सब समाज लेल खर्च करैत छी। तथापि, समाज लेल चिन्तन करब हमरा लोकनिक फर्ज थीक आर ताहि सँ ई अभियान संभव भऽ सकल अछि। आगामी समय मे - सामूहिक विवाह करायब, वैवाहिक परिचय सम्मेलन करायब, संगठन केँ मूर्तरूप मे आरो विस्तार देब, गाम-गाम मे निगरानी समिति बनबायब मुख्य रूप सँ ऊपर अछि। बाकी साल भैर मे पैघ-पैघ समारोह, गोष्ठी, सेमिनार, आदि मे जेना दहेज मुक्त मिथिला निर्माणार्थ चर्चा होएत अछि से यथावत् रहत।
अन्त मे एकटा अनुरोध करब, जतेक लोक हमर ई विचार पढलनि अछि ओ तऽ संकल्पित निश्चिते टा होएथ - संगहि जतेक दूर धरि संभव होएन, कृपया एहि अभियान केँ स्वेच्छाचारिताक धर्म अनुरूप प्रसार करैथ। कन्यादान बड पैघ यज्ञ थीक, एहि मे जतेक बेसी संभव होएन ततेक परोपकार करैत अपन जीवनक सार्थकता केँ बढबैथ। आभारी छी अहाँक जे ई अवसर देलहुँ। धन्यवाद।
प्रवीण नारायण चौधरी
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