सभा गाछी (सौराठ सभा )
सभा गाछी (सौराठ सभा )
मधुबनी सअ मात्र 6 किलोमीटर दूर "सौराठ" गाँव् में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ-आषाढ़ के महीना में मैथिल ब्राम्हण विवाह योग्य युवक के चयन के लेल वैवाहिक सभा के आयोजन होइत अछि जे "सभा गाछी " के नाम सअ विश्व प्रसिद्ध अछि !
आई काइल के युवक के लेल इ हँसी के गप्प भअ सकैत अछि ,लेकिन अहि बात के प्रबल संभावना छैक जे हुनकर पिता और बाबा के विवाह "सौराठ सभा " सअ भेल होइक ! अहि सभा में कन्या पक्ष के लोक उचित वर के तलाश में सभा में आयल वर और हुनकर परिवार सअ पूरा जानकारी लैत छैथ और विवाह के निर्णय लैत छैथ !
1310 ईस्वी में मिथिला नरेश हरि सिंह द्वारा दान के 22 बीघा जमीन जाहि पर आम , बरगद , पीपर के गाछ छल, 'सभा गाछी' शुरू भेल ! किछ वर्ष पहिने तक अहि महान सभा के बहुत सम्मान प्राप्त छल ! अहि सभा के लोकप्रियता के अनुमान अहि बात सअ लगायल जा सकय छै की 1971 में लगभग डेढ़ लाख लोग अहि सभा में आयल छलाह जे 1991 में पचास हज़ार और आब मात्र किछ सौ या हज़ार में रहि गेल अछि !कहल जाइत छैक कि जाहि साल सवा लाख लोक आबि जाइत छलैथ, अतिप्राचीन पीपर के गाछ के पात सूखि जाइत छल ! अहि ठाम के अन्य महत्वपूर्ण व्यवस्था "पंजीकरण" के अछि ! विवाह के लेल योग्य वर के चयन के बाद पञ्जीकार वर और वधु कुल के पांच और वर कुल के सात पुश्त के आपस में सम्बन्ध के जांच परताल करैत छैथ और वंशगत लेखाजोखा के बाद "सिद्धांत" लिख कअ दैत छैथ जे क़ानूनी रूप सअ विवाह के स्वीकृति मानल जाइत छैक और अहि व्यवस्था के अदालत में मान्यता प्राप्त छैक !
तेजी सअ विलुप्त होइत अहि सभा गाछी के लोकप्रियता में कमी के लेल कोनो एक कारण नहीं भअ सकैत अछि लेकिन 'दहेज़ के अत्यधिक मांग', संपन्न और अत्यधिक पढ़ल वर्ग के परिवार के गाछी के प्रति उदासीनता , प्रशासन द्वारा सुविधा में कमी , जमीन के अतिक्रमण और आजुक युवा वर्ग के अहि सभा के प्रति नकारात्मक सोच मुख्या कारण में सअ एक अछि ! मिथिला के अहि महान संस्कृति और सम्मानित व्यवस्था के आब इ स्थिति भअ गेल अछि कि आब इ मानल जा रहल अछि कि जेकरा कतहु विवाह तय नहि होइत छैक ओ सभा गाछी आबैत छैथ !
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