dahej mukt mithila

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शुक्रवार, 19 जून 2015

दरभंगा में इंटरनेशनल एअरपोर्ट के लिए

आप सभी दोस्तों से आग्रह है की... नेचे दिए लिंक पे जा के दरभंगा में इंटरनेशनल एअरपोर्ट के लिए... ये पत्र ज्यादा से जयादा कॉपी पेस्ट करे...
http://pmindia.gov.in/en/ 
interact-with-honble-pm/
आदरनीय
प्रधानमंत्री महोदय
भारत सरकार
मैं आपका ध्यान बिहार के दरभंगा जिले से इंटरनेशनल हवाई सेवा शुरू करने की ओर दिलाना चाहुँगा। दरभंगा ना सिर्फ मिथिला की हृदयस्थली है, बल्कि पर्यटन के लिए भी जानी जाती हैं, बलिराजगड जो की 2500 साल से भी ज्यादा पुरानी सभ्यता है, अहल्या स्थान जो की रामायण काल से सम्बंधित है, से ले कर महलों, शक्ति स्थल और दिल्ली के लाल किले जैसे खुबसूरत किले से सुसज्जित हैं ये शहर।
दरभंगा ना सिर्फ मिथिला की हृदयस्थली है, साथ ही यह नेपाल के लिए भी महत्वपूर्ण केन्द्र है। मेडिकल सुविधा के लिए नेपाल के कुछ जिले दरभंगा पर ही निर्भर है। आज जब राजेंद्र पुल और गांधी सेतु की जर्जर स्थिति से कभी भी राजधानी पटना का उत्तर बिहार से संपर्क टूट सकता है। आज जब आम लोगों के लिए पटना में हवाई जहाज से उतर कर उत्तर बिहार जाना सिरदर्द बन चुका है। ऐसे में बिहार में एयरपोर्ट की आवश्यकता को समझा जा सकता है, लेकिन सवाल है कि पटना एयरपोर्ट पर उतरनेवाले 60 फीसदी लोगों के दर्द को कौन समझेगा। दरभंगा से हवाई सेवा शुरू होने से ना इस शहर का विकास होगा,बल्कि पर्यटन और रोजगार के नए अवसर पैदा होगे।दरभंगा में उत्तर बिहार का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज है, साथ ही जल्द यहाँ से विदेश जाने वाले लोगों की संख्या को देखते हुए केन्द्र सरकार पासपोर्ट मिनी सेवा केन्द्र भी खोलने वाली है।
                 दरभंगा शिक्षा का भी बहुत बड़ा केन्द्र है, यहां इग्नू का रिजनल सेंटर के साथ यहा बिहार की एक मात्र संस्कृत यूनिवर्सिटी और मिथिला यूनिवर्सिटी है। साथ ही बालिकाओं के लिए एक विशेष वूमेन इंजिनियरिंग कालेज भी है।
दरभंगा का एविएशन इतिहास बहुत पुराना है, भारत का पहला निजी कार्गो विमान दरभंगा एविएशन ने ही खरीदा था और वो देश का पहला एयर कार्गो सर्विस प्रोवाइडर था। 1962 की लडाई में दरभंगा एविएशन के कार्गो विमान ने वायुसेना की बहुत मदद की थी। पूर्णिया एयरपोर्ट भी उसी कंपनी की संपत्ति रही है।
दरभंगा एविएशन दरभंगा का विमानन इतिहास दरअसल बिहार का विमानन इतिहास है। कुछ अर्थों में यह भारत का विमानन इतिहास है। भारत में कांग्रो सेवा प्रदान करने की बात हो या फिर देश का पहला लग्जरी विमान का इतिहास हो, यहां तक की आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के सरकारी विमान की बात हो, दरभंगा और उसके विमान के योगदान का उल्लेख के बिना इनका इतिहास लिखना संभव नहीं है।


            दरभंगा के विमानन इतिहास की शुरुआत महाराजा रामेश्वर सिंह के कालखंड में ही होती है। दरभंगा का पहला विमान एफ-4440 था। जो 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के लिए खरीदा गया था। यह एक संयोग ही है कि दरभंगा का पहला विमान जहां भारतीय फौज के लिए खरदा गया था, वही दरभंगा आखिरी विमान भी भारतीय वायुसेना को ही उपहार स्वरूप दिया गया। एक इंजनवाले इस विमान में दो लोगों के बैठने की सुविधा थी। वैसे दरभंगा में उतरनेवाला पहला विमान दरभंगा के महाराजा का नहीं, बल्कि दरभंगा के कारोबारी अग्रवाल परिवार का हेलिकॉटर था। अग्रवाल परिवार ने यह विमान 1930 में खरीदा था। 1932 में वासराय के दरभंगा आगमन से पहले दरभंगा महाराज ने भी अपने लिए एक विमान खरीदा।
आशा है आप मिथिला के लोगो का दर्द समझेंगे और जल्द से जल्द दरभंगा इंटरनेशनल एअरपोर्ट के लिए कार्य प्रारंभ करेंगे।

https://www.youtube.com/watch?v=FP_hOcQqlGc 

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